हे राम, हे राम जग में साचो तेरो नाम हे राम, हे राम तू ही माता, तू ही पिता है तू ही तो है राधा का श्याम हे राम, हे राम तू अंतर्यामी, सबका स्वामी तेरे चरणों में चारो धाम हे राम, हे राम तू ही बिगड़े, तू ही सवारे इस जग के सारे काम हे राम, हे राम तू …
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चाणक्य नीति : प्रथम अध्याय (Chanakya Niti: The First Chapter)
१. तीनो लोको के स्वामी सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु को नमन करते हुए मै एक राज्य के लिए नीति शास्त्र के सिद्धांतों को कहता हूँ. मै यह सूत्र अनेक शास्त्रों का आधार ले कर कह रहा हूँ। 2. जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होगे। उसे इस बात का …
Read More »ॐ जय महावीर प्रभु स्वामी जय महावीर प्रभु
ॐ जय महावीर प्रभु, स्वामी जय महावीर प्रभु । कुण्डलपुर अवतारी, चांदनपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभु ॥ सिध्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी । बाल ब्रह्मचारी व्रत, पाल्यो तप धारी ॥ आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी । माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी ॥ जग में पाठ अहिंसा आप ही विस्तारयो । हिंसा पाप मिटा कर, सुधर्म परिचारियो ॥ अमर …
Read More »स्वामी विवेकानंद जयंती
स्वामी विवेकानंद आधुनिक युग के प्रथम पंक्ति के विश्व प्रसिद्ध महापुरुष थे । वे भारतीयता के आदर्श प्रतिनिधि होने के अतिरिक्त, वैदिक धर्म तथा संस्कृति के ओजस्वी वक्ता भी थे । वेदांत को आज के विज्ञान के सम्मुख जिस हृदयगंम रूप में उन्होंने प्रतिपादित किया यह उन की ओजस्वी प्रतिभा का प्रतिबिंब है । उनके स्फूर्तिदायी विचारों से केवल भारत …
Read More »श्रीराधिका जी का उद्धव को उपदेश
गोपियों के अद्भुत प्रेम – प्रवाह में ज्ञानशिरोमणि उद्धव का संपूर्ण ज्ञानभिमान बह गया । विवेक, वैराग्य, विचार, धर्म, नीति, योग, जप और ध्यान आदि संपूर्ण संबल के सहित उसकी ज्ञान नौका गोपियों के प्रेम समुद्र में डूब गयी । उद्धव गोपियों का मोह दूर करने आया था किंतु वह स्वयं ही उनके (दिव्य) मोह में मग्न हो गया …
Read More »श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी (Jagnnath Temple, Puri)
पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर एक हिन्दू मंदिर है, जो भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। यह भारत के उड़ीसा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है। इस मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। यह वैष्णव …
Read More »मां से बढ़कर कोई नहीं
स्वामी विवेकानंद जी से एक जिज्ञासु ने प्रश्न किया, मां की महिमा संसार में किस कारण से गाई जाती है? स्वामी जी मुस्कराए, उस व्यक्ति से बोले, पांच सेर वजन का एक पत्थर ले आओ। जब व्यक्ति पत्थर ले आया तो स्वामी जी ने उससे कहा, अब इस पत्थर को किसी कपड़े में लपेटकर अपने पेट पर बाँध लो और …
Read More »इतना तो करना स्वामी
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से निकलेश्री गंगा जी का तट हो, यमुना का वंशीवट हो मेरा सांवरा निकट हो जब प्राण तन से निकले इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले पीताम्बरी कसी हो छवि मन में यह बसी हो होठों पे कुछ हसी हो जब प्राण …
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