माँ ! मैं तुझ से प्यार करुँगी जीवन भर आभार करुँगी आने दे मुझको भी जग में माँ ! मैं भी हूँ अंश तुम्हारा कहलाउंगी वंश तुम्हारा आने दे मुझको भी जग में माँ ! मत भूलो अपने वो दिन कोख में थी तू भी तो इक दिन आने दे मुझको भी जग में बेटी ये कोख से बोल …
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महर्षि सौभरि की जीवन गाथा
वासना का राज्य अखण्ड है । वासना का विराम नहीं । फल मिलने पर यदि एक वासना को हम समाप्त करने में समर्थ भी होते हैं तो न जाने कहां से दूसरी और उससे भी प्रबलतर वासनाएं पनप जाती हैं । प्रबल कारणों से कतिपय वासनाएं कुछ काल के लिये लुप्त हो जाती हैं, परंतु किसी उत्तेजक कारण के आते …
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