गणपति गणेश को, उमा पति महेश को मेरा प्रणाम है जी, मेरा प्रणाम है जी अनजानी के पूत को, राम जी के दूत को मेरा प्रणाम है जी, मेरा प्रणाम है जी कृष्ण कन्हैया को, दाऊ जी के भैया को मेरा प्रणाम है जी, मेरा प्रणाम है जी माँ शेरा वाली को, खंडे खप्पर वाली को मेरा प्रणाम है जी, …
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श्री विमलनाथ जी
विमलनाथ जी जैन धर्म के तेरहवें तीर्थंकर हैं। प्रभु विमलनाथ जी का जन्म माघ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भाद्रपद नक्षत्र में कम्पिला में हुआ। विमलनाथ जी के शरीर का रंग सुवर्ण (सुनहरा) और चिह्न शूकर था। विमलनाथ जी का जीवन परिचय (Life of Jain Tirthankar Vimalnath Ji) कालक्रम के अनुसार विमलनाथ जी ने राजपद का दायित्व भी …
Read More »चाणक्य नीति : प्रथम अध्याय (Chanakya Niti: The First Chapter)
१. तीनो लोको के स्वामी सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु को नमन करते हुए मै एक राज्य के लिए नीति शास्त्र के सिद्धांतों को कहता हूँ. मै यह सूत्र अनेक शास्त्रों का आधार ले कर कह रहा हूँ। 2. जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होगे। उसे इस बात का …
Read More »श्री विंध्यशवरी चालीसा
नमो-नमो विन्ध्येश्वरी, नमो-नमो जग्दम्ब । सन्त जनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥ जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदि शक्ति जग विदित भवानी॥ सिंहवाहिनी जय जग माता। जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता॥ कष्ट निवारिनि जय जग देवी। जय जय सन्त असुरसुर सेवी॥ महिमा अमित अपार तुम्हारी। शेष सहस मुख वर्णत हारी॥ दीनन के दुख हरत भवानी। नहिं देख्यो तुम …
Read More »सेठ जी की परीक्षा
बनारस में एक बड़े धनवान सेठ रहते थे। वह विष्णु भगवान् के परम भक्त थे और हमेशा सच बोला करते थे । एक बार जब भगवान् सेठ जी की प्रशंशा कर रहे थे तभी माँ लक्ष्मी ने कहा , ” स्वामी , आप इस सेठ की इतनी प्रशंशा किया करते हैं , क्यों न आज उसकी परीक्षा ली जाए और …
Read More »इधर अंजनी घर हनुमान जन्मे
इधर अंजनी घर हनुमान जन्मे उधर दशरथ घर भगवान जन्मे महलों में में आनंद इधर पवन पिता झूम रहें मन खुशियाँ अयोध्यामें हनुमान के रूप में खुद त्रिलोकी राम के रूप में खुद श्री विष्णु हनुमान खेलेंगे कुटिया में श्रीराम खेलेंगे आँगन में इधर अंजनी घर हनुमान जन्मे… सोने के पालने में श्री राम झूले मैया की बहियाँ में हनुमान …
Read More »भगवान शिव के अवतार
जो ब्रह्मा होकर समस्त लोकों की सृष्टि करते हैं, विष्णु होकर सबका पालन करते हैं और अंत में रुद्ररूप से सबका संहार करते हैं, वे सदाशिव मेरी परमगति हों । शैवागम में रुद्र के छठें स्वरूप को सदाशिव कहा गया है । शिवपुराण के अनुसार सर्वप्रथम निराकार परब्रह्म रुद्र ने अपनी लीला शक्ति से अपने लिए मूर्ति की कल्पना की …
Read More »हर – भगवान शिव के अवतार
शैवागम के अनुसार भगवान रुद्र के आठवें स्वरूप का नाम हर है । भगवान हर को सर्वभूषण कहा गया है । इसका अभिप्राय यह है कि मंगल और अमंगल सब कुछ ईश्वर – शरीर में है । दूसरा अभिप्राय यह है कि संहारकारक रुद्र में संहार – सामग्री रहनी ही चाहिए । समय पर सृष्टि का सृजन और समय पर …
Read More »प्रतिशोध ठीक नहीं होता
बालक पिप्पलाद ने जब होश संभाला, तब औषधियों को अपने अभिभावक के रूप में देखा । वृक्ष फल देते थे, पक्षी दाने लाते थे और मृग हरी वस्तुएं । ओषधियां अपने राजा सोम से मांगकर अमृत की घूंटें पिप्पलाद को पिलाया करती थीं । यह दृश्य देखकर पिप्पलाद ने वृक्षों से पूछा – ‘देखा यह जाता है कि मनुष्य माता …
Read More »सुनीथा की कथा (अभिभावक उपेक्षा न करें)
अभिभावकों को चाहिए कि वे अपनी संतान की संभाल में तनिक भी उपेक्षा न आने दें । इनके द्वारा की गयी थोड़ी भी उपेक्षा संतान के लिए घातक बन जाती है । सुनीथा मृत्यु देवता की कन्या थी । बचपन से ही वह देखती आ रही थी कि उसके पिता धार्मिकों को सम्मान देते हैं और पापियों को दण्ड । …
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