एक समय की बात है, भगवान शिव ने भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दे दिया कि तुम जिसके सिर पर अपना हाथ रख दोगे, वह जल कर भस्म हो जायेगा । भस्मासुर ने पार्वती के सौंदर्य पर मोहित होकर उन्हें प्राप्त करने के लिए भगवान शिव को भस्म करने का उपक्रम किया । उस समय भगवान विष्णु …
Read More »Tag Archives: vishnu
भक्त का अद्भुत अवदान
कीच से जैसे कमल उत्पन्न होताहै, वैसे ही असुर – जाति में भी कुछ भक्त उत्पन्न हो जाते हैं । भक्तराज प्रह्लाद का नाम प्रसिद्ध है । गयासुर भी इसी कोटी का भक्त था । बचपन से ही गय का हृदय भगवान विष्णु के प्रेम में ओतप्रोत रहता था । उसके मुख से प्रतिक्षण भगवान के नाम का उच्चारण होता …
Read More »भगवान शिव का हरिहरात्मक रूप
एक बार सभी देवता भगवान विष्णु के पास गये और उन्हें नमस्कार करने के बाद संपूर्ण जगत के अशांत होने का कारण पूछा । देवताओं के प्रश्न करने पर भगवान विष्णु ने कहा – ‘देवताओं ! हम तुम्हारे इस प्रश्न का यथोचित उत्तर नहीं दे सकते । हम सभी लोगों को एक साथ मिलकर भगवान शंकर के पास चलना चाहिए …
Read More »वसंत पंचमी के दिन क्यों होती हैं विद्या की देवी की पूजा ?
वसंत पंचमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्योहार है । इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है । सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की । अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे । उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके …
Read More »वेदमालि को भगवत्प्राप्ति
प्राचीन काल की बात है । रैवत मन्वंतर में वेदमालि नाम से प्रसिद्ध एक ब्राह्मण रहते थे, जो वेदांगों के पारदर्शी विद्वान थे । उनके मन में संपूर्ण प्राणियों के प्रति दया भरी हुई थी । वे सदा भगवान की पूजा में लगे रहते थे, किंतु आगे चलकर वे स्त्री, पुत्र और मित्रों के लिए धनोपार्जन करने में संलग्न …
Read More »अर्धनारीश्वर शिव
सृष्टि के आदि में जब सृष्टिकर्ता ब्रह्माद्वारा रची हुई सृष्टि विस्तार को नहीं प्राप्त हुई, तब ब्रह्मा जी उस दु:ख से अत्यंत दु:खी हुए । उसी समय आकाशवाणी हुई – ‘ब्रह्मन ! अब मैथुनी सृष्टि करो ।’ उस आकाशवाणी को सुनकर ब्रह्मा जी ने मैथुनी सृष्टि करने का विचार किया, परंतु ब्रह्मा की असमर्थता यह थी कि उस समय तक …
Read More »राम अंश
अंसन्ह सहित मनुज अवतारा । लेहउं दिनकर बंस उदारा ।। ब्रह्मादि देवताओं की पुकार पर आकाशवाणी में ‘अंसन्ह सहित’ अवतार लेने की ब्रह्मगिरा हुई, उसी प्रकार श्रीस्वायंभुव मनु को भी वचन दिया गया – अंसन्ह सहित देह धरि ताता । करिहउं चरित भगत सुखदाता ।। अतएव इस बात की खोज आवश्यक है कि परम प्रभु के वे अंश कौन कौन …
Read More »कर्तव्यपरायणता का अद्भुत आदर्श
प्राचीन काल में सर्वसमृद्धिपूर्ण वर्धमान नगर में रूपसेन नाम का एक धर्मात्मा राजा था । एक दिन उसके दरबार में वीरवर नाम का एक गुणी व्यक्ति अपनी पत्नी, कन्या एवं पुत्र के साथ वृत्ति के लिए उपस्थित हुआ । राजा ने उसकी विनयपूर्ण बातों को सुनकर प्रतिदिन एक सहस्त्र स्वर्णमुद्रा का वेतन नियत कर सिंहद्वार के रक्षक के रूप में …
Read More »सृष्टि तथा सात ऊर्ध्व एवं सात पाताल लोकों का वर्णन
श्रीसूत जी बोले – मुनियो ! अब मैं कल्प के अनुसार सैकड़ों मन्वंतरों के अनुगत ईश्वर संबंधी कालचक्र का वर्णन करता हूं । सृष्टि के पूर्व यह सब अप्रतिज्ञात स्वरूप था । उस समय परम कारण, व्यापक एकमात्र रुद्र ही अवस्थित थे । सर्वव्यापक भगवान ने आत्मस्वरूप में स्थित होकर सर्वप्रथम मन की सृष्टि की । फिर अंहकार …
Read More »द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अर्चा विग्रह – 5) श्री केदारेश्वर
केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नाम श्रृंगपर अवस्थित हैं । शिखर के पूर्व अलकनंदा के सुरम्य तट पर बदरीनारायण अवस्थित हैं और पश्चिम में मंदाकिनी के किनारे श्रीकेदारनाथ विराजमान हैं । यह स्थान हरिद्वार से लगभग 150 मील और ऋषिकेश से 132 मील उत्तर हैं । भगवान विष्णु के अवतार नर नारायण ने भरतखण्ड के बदरिकाश्रम में तप किया था …
Read More »