बसुरी बजाए आज रंग से मुरारी, शिव समधी भूल गये, ऋषि मुनि की नारी,…..(2) वेद पढ़त ब्रह्मा भूले, भूले भ्राह्मचारी… बसुरी बजाए आज रंग से मुरारी रंभा साम ताल चुकी, भली नृत्यकारी (2) हो जमुना जल उलटी भयो शोभा आज भारी (2) बसुरी बजाए आज रंग से मुरारी वृंदावन बंसी बाजी टीन लोक प्यारी (2) ग्वाल बाल मगन भाए, व्रज …
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