हे अंजनी पुत्र हे मारुती इतनी बिनती सवीकार करो । इस मन मंदिर में बस जाओ मुझ निर्बल का उद्दार करो ॥ मैंने तो सुना है हे हनुमंत तुम दुखियों के दुःख हर्ता हो, आ जाए कोई जो तुम्हारी शरण बन जाते तुम सुख करता हो । दुःख के इस जीवन सागर से मेरी नैया भी पार करो, हे अंजनी …
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