अच्छा पापा, मैं भी निकलता हूँ ऑफिस से, बस दस मिनट में स्टेशन पहुँच जाऊँगा। आप वेटिंग रूम में बैठ जाइएगा” कहकर अंकित ने फोन काट दिया। उधर ट्रेन में बैठे राजेन्द्र जी और उनकी पत्नी उर्मिला ने भी बड़े उत्साह से अपना बैग-अटैची सँभाल ली क्योंकि दिल्ली का स्टेशन आने वाला ही था। गाड़ी भी रेंगने लगी थी।
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राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये
राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये तुलसी अपनी रामायण में कह गये राम मर्यादा सिखाने आये थे धर्म के पथ पर चलाने आये थे राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये प्रेम हो तोह भारत जैसे भाई का राज चरणों में रहा रघुराई का जुलम केकई के भारत भी सह गये उर्मिला साक्षात् सती की शान है जिसकी आरती …
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