एक बार शरद पूर्णिमा की शरत-उज्ज्वल चाँदनी में वंशीवट यमुना के किनारे श्याम सुंदर साक्षात मन्मथनाथ की वंशी बज उठी। श्रीकृष्ण ने छ: मास की एक..
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मोक्ष संन्यासिनी गोपियां
कुछ लोग प्रतिदिन सकामोपासना कर मनवाञ्छित फल चाहते हैं, दूसरे कुछ लोग यज्ञादि के द्वारा स्वर्ग की तथा (कर्म और ज्ञान) योग आदि के द्वारा मुक्ति के लिए पार्थना करते हैं, परंतु हमें तो यदुनंदन श्रीकृष्ण के चरणयुगलों के ध्यान में ही सावधानी के साथ लगे रहने की इच्छा है । हमें उत्तम लोक से, दम से, राजा से, स्वर्ग …
Read More »श्याम सुंदर गिरिधारी माधव कृष्णा मुरारी
दर्शन दे बाँवरी कुंज विहारी दर्शन दे बाँवरी हो…………..दर्शन दे बाँवरी हो…. ||1|| हे गोविंदा हे मुकुंडा नंदा के धुलारे गोपी ग्वालन के और (गईयों के प्यारे)2 तां सुनदे प्यारी प्यास बुजाधे हमारी ||2|| दर्शन दे बाँवरी कुंज विहारी दर्शन दे बाँवरी हो…………..दर्शन दे बाँवरी हो…. श्याम सुंदर गिरिधारी माधव कृष्णा मुरारी ||3|| चपल नयन चंद्रा बदन मोर मुकुट सोहे …
Read More »जागो वंशीवारे ललना जागो मोरे प्यारे
जागो वंशीवारे ललना जागो मोरे प्यारे रजनी बीती भोर भयो है , घर घर खुले किवारे , गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे !! जागो वंशीवारे ललना जागो मोरे प्यारे उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाढे द्वारे , ग्वाल बाल सब करत कुलाहल ,जय जय शब्द उचारे !! जागो वंशीवारे ललना जागो मोरे प्यारे माखन रोटी …
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