‘बृज सूना सूना, लागे रे, गोपाल के बिना’ ll*गोपाल के बिना, नन्दलाल के बिना llबृज सूना ll सूना, लागे रे,,,,,,,,,,,,,,,, शीकण पर, चढ़ चढ़ करके, माखन कौन चुराए रे,कदम की डारन, झूले पड़े, पींघें कौन बढाए रे l“गोपाल के बिना, नन्दलाल के बिना xll “बृज सूना ll सूना, लागे रे,,,,,,,,,,,,,,,, दिखला कर, सूरत मोहिनी, मन को कौन लुभाए रे,गोपियन के …
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