मेरे मन में कान्हा ह्रदय की धुन में कान्हाऔर जीवन में कान्हा क्या कहेंभक्त सा मेरा मन हो गया है अर्पणअब तुम ही हो जीवन क्या कहेंकहा तुमसे लगन जो लगीज़माना मैं भुला बैठातुम्हारे प्रेम की धारा मैं जीवन ये लगा बैठा तेरे दीदार को मोहन मेरी अँखियाँ तरसती ही गईचले आओ मेरे कान्हा उमर मेरी गुज़र ही रहीमेरे केशव …
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