हे मेरे श्याम लो खरब मोरीशरण में मैं आज तुम्हारी हुरेहम की भीख मुझे दे दाता मैं तेरे द्वार का भिखारी हुहे मेरे श्याम लो खरब मोरी तेरे दर से ना मन जुड़ा मेरा सदा माया में मन फसाया हैतेरा मुझ्रिम हु खता ये की है कभी भी याद तू ना आया हैकितने अपराध गिनाऊ दाता मैं गुनाहों की इक …
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