तीन ख्वाहिशें एक जिन की कहानी – बहुत समय पहले बगदाद में सुल्तान नाम का एक लड़का रहता था। जिसने अपना बचपन जगह-जगह घूम कर बिताया था। उसके माता-पिता बचपन में ही गुज़र गए थे और उसे अपने जीवन को आगे बढ़ाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। इसी के चलते वह कई बार निराश होकर समुद्र के किनारे जाकर बैठ जाता।
एक दिन वह समुद्र के किनारे बैठा हुआ था और सोच रहा था कि काश उसके साथ कोई ऐसा चमत्कार हो जिससे कि वह सबसे अमीर आदमी बन जाए और अपने जीवन को चलाने के लिए इधर-उधर न भटकना पड़े। यह सोचकर वह ऊपर वाले से विनती करने लगा और फिर वह चुपचाप वहाँ बैठ गया।
कुछ देर बाद, समुंदरों की लहरों में से एक सुंदर सा कांच का बोतल उसके पास आया। उस बोतल पर एक ढक्कन लगी हुई थी और उसके अंदर एक कागज था जिसपर कुछ लिखा हुआ था। सुल्तान ने बोतल का ढक्कन खोला। जैसे ही उसने ढक्कन खोला उसके अंदर से एक जिन्न बाहर आया। सुल्तान रेत पर गिर गया। वह डर गया था।
तभी उस जिन्न ने कहा, “क्या हुक्म है मेरे आका। मैं आज से आपका गुलाम हूं। मैं आपका तब तक गुलाम रहूंगा जब तक मैं आपकी तीन ख्वाहिशें पूरी नहीं कर देता। मैं आपकी तीन ख्वाहिशें पूरी कर सकता हूं।”
तभी उस जिन्न ने कहा, “क्या हुक्म है मेरे आका। मैं आज से आपका गुलाम हूं। मैं आपका तब तक गुलाम रहूंगा जब तक मैं आपकी तीन ख्वाहिशें पूरी नहीं कर देता। मैं आपकी तीन ख्वाहिशें पूरी कर सकता हूं।”
जिन्न बात को सुनकर सुल्तान समझ चुका था कि उसे एक ऐसी चीज़ मिली है जो उसकी ख्वाहिशों को पूरा कर सकती है। उसने जिन्न से कहा, “अच्छा तुम मेरी ख्वाहिशों को पूरा कर सकते हो?”
“जी हां, लेकिन मैं आपकी सिर्फ तीन ख्वाहिशें पूरी कर सकता हूं।”
सुल्तान ने अपने पहला ख्वाहिश मांगा, “अच्छा तो मैं सबसे पहले यह चाहता हूं कि तुम मेरे लिए ऐसा घर बनाओ जो दुनिया में सबसे बेहतरीन हो। जिसे देखकर हर एक इंसान की आंखें फटी की फटी रह जाए।”
इसके बाद वह जिन्न गोल-गोल घूमने लगा। देखने में ऐसा लग रहा था कि कोई बवंडर आ गया हो और वह सुल्तान को लेकर दूसरी जगह पहुंच गया।
रुककर जिन्न ने सुल्तान से पूछा, “क्या यह जगह आपके घर के लिए सही है?”
जिन सुल्तान को ऐसी जगह ले गया जो उसके घर के लिए बहुत ही बेहतरीन थी। उस जगह को देखकर सुल्तान ने जिन्न से कहा, “यह जगह बहुत ही अच्छी है। तुम यहाँ मेरा घर बना सकते हो।”
सुल्तान के ऐसा कहते ही उस जगह पर जबरदस्त बिजली कड़कने लगी और देखते ही देखते वहां एक घर बनने लगा। कुछ देर बाद सुल्तान का घर पूरी तरह से तैयार था। ऐसा हो जाने के बाद जिन्न ने सुल्तान से कहा, “मेरे आका आपकी एक ख्वाहिश पूरी हो चुकी है। अब बस आपके पास दो ख्वाहिशें बाकी है। आप चाहे तो अभी तुरंत उन ख्वाहिशों को मांग सकते हैं।”
“नहीं, नहीं, अभी नहीं, मैं तुमसे बाद में सोच कर कोई ख्वाहिश मांगूंगा।” अब सुल्तान के पास अपना महल था जिसमें वह बड़े आराम से रहने लगा। अब उसके पास नौकर, नौकरानी ओर खाना बनाने के लिए बेहतरीन रसोइया भी थे।
अब सुल्तान सोचने लगा कि उसे दूसरी ख्वाहिश क्या मांगनी चाहिए? यह सोचकर वह बाजार की ओर चला गया। बाजार में उसने कुछ ऐसे बच्चों को देखा जो भूखे थे और दूसरों से खाना मांग रहे थे। उन बच्चों को देखकर सुल्तान को अपनी बात याद आ गई। एक समय गरीबी में उसे भी इसी तरह रहना पड़ता था। इसलिए वह उनको देखकर उदास हो गया। वह उनके लिए कुछ करना चाहता था। इसीलिए वह अपने महल गया और जिन्न से बोला, “मैं अपनी दूसरी ख्वाहिश मांगना चाहता हूं।”
“जी हुकुम करिए मेरे आका।”
सुल्तान ने अपना दूसरा ख्वाहिश मांगा, “मैं चाहता हूं कि आज से कोई भी बच्चा भूखा ना रहे। उन्हें कभी भी खाने के लिए दूसरों से कुछ भी ना मांगना पड़े।”
जिन्न ने सुल्तान की ख्वाहिश सुनी और उसने उसे पूरा कर दिया। सुल्तान की ख्वाहिश को पूरा करने के बाद जिन्न ने उससे कहा, “मेरे आका आपकी दो ख्वाहिशें पूरी हो चुकी है। अब आपके पास सिर्फ और सिर्फ एक ही ख्वाहिश बाकी है। क्या आप उसे अभी पूरा करना चाहते हैं?”
“नहीं मैं अपनी तीसरी ख्वाहिश भी सोचकर ही बताऊंगा।”
अब सुल्तान खुश था कि उसके पास अपना खुद का महल था और बच्चों को अब से भूखा नहीं रहना पड़ता था। कुछ दिनों बाद सुल्तान को इस बात का याद आया कि उसकी तीसरी ख्वाहिश बाकी है। लेकिन वह यह भी सोच रहा था कि अगर वह तीसरी ख्वाहिश मांग लेता है तो उसके बाद क्या होगा? क्या वह जिन्न चला जाएगा या इसके अलावा कुछ और भी होगा? अब सुल्तान यही सोच रहा था कि इसके आगे क्या होने वाला है? तभी उसे याद आया कि उस कांच की बोतल में एक कागज था जिसपर कुछ लिखा हुआ था।
वह तुरंत अपने बोतल को खोजने लगा। जैसे ही उसे वह बोतल मिला तब उसने वह कागज बाहर निकाला। उस कागज में लिखा था, “कोई भी व्यक्ति इस जिन्न से तीन ख्वाहिश मांग सकता है लेकिन तीन ख्वाहिश पूरी हो जाने के बाद उस व्यक्ति को सारी जिंदगी इस बोतल में कैद होकर रहना पड़ेगा। इसके बाद वह जिन्न आजाद हो जाएगा।
यह पढ़ते ही सुल्तान घबरा गया। अब वह डरा हुआ था और बार-बार सोच रहा था कि वह आगे क्या करेगा? तभी उसे एक तरकीब सूझी और उसने जिन्न को बुलाया।
जिन्न उसके सामने हाजिर हुआ और बोला, “क्या हुक्म है मेरे आका।”
“मैं अपनी तीसरी ख्वाहिश पूरी करना चाहता हूं।” सुल्तान ने जिन्न से कहा।
जैसे ही जिन्न ने यह सुना वह अंदर ही अंदर खुश होने लगा। वह सोच रहा था कि वह हमेशा के लिए आजाद हो जाएगा और उसे बोतल में नहीं रहना पड़ेगा। फिर सुल्तान ने अपना तीसरा ख्वाहिश मांगा, “मेरी तीसरी ख्वाहिश है कि अब से तुम सारी जिंदगी मेरे गुलाम रहोगे और मेरे मर जाने के बाद तुम वापस से इस बोतल में जाओगे।”
यह सुनकर जिन्न गुस्से से चिल्लाने लगा। लेकिन वह कुछ नहीं कर सकता था। अगर वह ऐसा करने से मना करता तो उसे अनंत काल तक नर्क में जाना पड़ता।