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मंदिर: रोजगार का केंद्र और सेवा का संचालक

क्या मंदिर बनने से रोजगार मिल जाएगा?…
थोड़ा रिसर्च कर लो तो पता चलेगा कि जम्मू कश्मीर के रेवेन्यू में सबसे बड़ा हाथ वैष्णो देवी का होता है। केदारनाथ, बद्रीनाथ, वृंदावन, बनारस, तिरुमला जैसे जगह के रोजगार का मुख्य केंद्र वहां स्थित देवालय ही है फूल-पत्ती, माला, प्रसाद को बेचकर जहाँ सैकड़ों अत्यंत गरीब लोग अपने परिवारों की जीविका चलाते हैं वही देश-विदेश के लाखों दर्शनार्थियों के आने से उस क्षेत्र के सभी हजारों छोटे-बड़े दुकानों की अच्छी बिक्री होती हैं, पर्यटन तथा होटल व्यवसाय से जुड़े हजारों परिवारों की जीविका बढ़ती हैं और रोजगार का सृजन होता हैं। साथ ही सरकार का भी रेवेन्यु बढ़ता हैं। मंदिरे सिर्फ रोज़गार हीं नहीं देती अपितु आम लोगों के सेवा हेतु मंदिर ट्रस्ट विद्यालय, अस्पताल, वृद्धाश्रम, अनाथालय का भी निर्माण करवाती है, जिससे फायदा आम जनमानस को होता है।

मंदिर बनने से रोजगार सृजन में सहायता मिल सकती है, लेकिन यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। निम्नलिखित पहलुओं पर विचार करें:

  1. निर्माण के दौरान: मंदिर के निर्माण में शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे कि डिजाइन, निर्माण, और सजावट में विभिन्न पेशेवरों जैसे कि आर्किटेक्ट्स, इंजीनियर्स, मजदूर, और कलाकारों को काम मिल सकता है। इससे अस्थायी रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
  2. पर्यटन और तीर्थाटन: मंदिर के एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में विकसित होने पर, यह पर्यटन को बढ़ावा दे सकता है, जिससे होटल, रेस्टोरेंट, दुकानों, और परिवहन सेवाओं में रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं।
  3. सेवा और प्रबंधन: मंदिर के संचालन और प्रबंधन में भी कर्मचारियों की आवश्यकता होती है, जिसमें पुजारी, सफाई कर्मचारी, सुरक्षा गार्ड, और प्रशासनिक स्टाफ शामिल हो सकते हैं।
  4. धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम: मंदिर धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन कर सकता है, जिससे स्थानीय विक्रेताओं, कलाकारों, और अन्य सेवा प्रदाताओं को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं।

हालांकि, मंदिर बनने से रोजगार की संभावनाएं बढ़ सकती हैं, मगर इसकी व्यापकता और स्थायित्व उस स्थान की आर्थिक स्थिति, मंदिर की लोकप्रियता, और आसपास के विकास पर निर्भर करती हैं। इसलिए, इसे एकमात्र रोजगार सृजन के साधन के रूप में देखने के बजाय एक अनुकूलक के रूप में देखना चाहिए, जो समुदाय के विकास और उत्थान में योगदान दे सकता है।

आइए बताते हैं भारत के मंदिर करोड़ो लोगों को रोजगार कैसे देतें है…
१.
धार्मिक पुस्तक बेचनें वालों को और उन्हें छापनें वालों को रोजगार देतें हैं।
२. माला बेचनें वालों को घंटी-शंख और पूजा का सामान बेचने वालों को रोजगार देतें हैं।
३. फूल वालों को माला बनानें और किसानों को रोजगार देतें हैं।
४. मूर्तियां-फोटुएं बनानें और बेचनें वालों को रोजगार देतें हैं।
५. मंदिर प्रसाद बनानें और बेचनें वालों को रोजगार देतें हैं।
६. कांवड़ बनानें-बेचनें वालों को भी रोजगार देतें हैं।
७. रिक्शे वाले गरीब लोग जो कि धार्मिक स्थल तक श्रद्धालुओं को पहुंचाते हैं उन रिक्शा और आटो चालकों को रोजगार देतें हैं।
८. लाखों गरीब पुजारियों को भी रोजगार देतें हैं।
९. रेलवे की अर्थव्यवस्था का १८% हिस्सा मंदिरों से चलता है।
१०. मंदिरों के किनारे जो गरीबों की छोटी-छोटी दुकानें होती है उन्हें भी रोजगार मिलता है।
११. मंदिरों के कारण अंगूठी-रत्न बेचनें वाले गरीबों का परिवार भी चलता है।
१२. मंदिरों के कारण दिया बनानें और कलश बनानें वालों को भी तो रोजगार मिलता है।
१३. मंदिरों से उन ६५,००० खच्चर वालों को रोजगार मिलता है जो कि श्रद्धालुओं को दुर्गम पहाड़ों पर प्रभु के द्वार तक ले जातें हैं।
१४. भारत में दो लाख से अधिक जो भी होटल हैं और धर्मशालाएं हैं उनमें रहनें वाले लोगों को मंदिर ही तो रोजगार देतें हैं।
१५. तिलक बनानें वाले- नारियल और सिंदूर आदि बेचनें वालों को भी ये मंदिर रोजगार देतें हैं।
१६. गुड-चना बनानें वालों को भी मंदिर रोजगार देतें हैं।
१७. मंदिरों के कारण लाखों अपंग और भिखारियों और अनाथ बच्चों को रोजी-रोटी मिलती है।
१८. मंदिरों के कारण लाखों वानरों की रक्षा होती है और सांपों की हत्या होने से बचती है।
१९. मंदिरों के कारण ही हिंदू धर्म में पीपल-बरगद -पिलखन- आदि वृक्षों की रक्षा होती है।
२०. मंदिर के कारण जो हजारों मेले हर वर्ष लगते हैं-एक मेलों में जो चरखा-झूला चलानें वालों को भी तो रोजगार मिलता है।
२१. मंदिरों के कारण लाखों टूरिस्ट मंदिरों में घूमतें हैं और छोटे-छोटे चाय-पकौडे-टिक्की बेचनें वाले सभी गरीबों का जीवन यापन भी तो चलता है।
सनातन धर्म उन करोडों लोगों को रोजगार देता है जो गरीब हैं। इनमें केवल पंडित ही नही, हर धर्म, हर जाति के जो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं और जिन के पास धन-जमीन और खेती नहीं है जो बेसहारा हैं जिनका कोई नहीं, उनके राम है… उनके श्याम है और उनके महादेव है

मंदिरों से सरकार को कितना पैसा मिलता है?

हर साल लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का हिंदू धन जो हम धर्म के लिए मंदिर में देते हैं, वह सरकार की जेब में जाता है और सरकार इसका इस्तेमाल करती है।

क्या मंदिर सरकार के अधीन हैं?

भारत में कुल मिलाकर कई मंदिर सरकार के अधीन होते हैं। संविधान के तहत, सभी धर्मों के लोगों को धार्मिक आधार पर स्वतंत्रता मिलती है और संबंधित धर्म संस्थाओं के अधीन आने वाले स्थलों का प्रबंधन करने का अधिकार संवैधानिक तौर पर उन्हें दिया जाता है।

क्या मैं , भारत में मंदिर का मालिक हो सकता हूं?

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया है कि ” मंदिर की सभी संपत्ति का स्वामित्व कानूनी व्यक्ति के रूप में देवता के पास है और पुजारी या प्रबंधकों का नाम संपत्ति के स्वामित्व के कागजात में नहीं डाला जा सकता है।

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