तप के मार्ग का अनुसरण करने वाले हठ मनोबली शूरवीर होते है । तप से मन का कायाकल्प होता है । तपस्या की महिमा अपरंपार है, जो हमें मुक्ति के द्वार लेकर जाती है ।
युद्ध भूमि में योद्धा तपे
सूर्य तपे आकाश
तप अनुमोदन*
करें कर्मों का नाश ।
रसनेन्द्रिय को जितना बड़ा कठिन है । लेकिन अपने इन्द्रिय और मन को काबू कर के जब कोई तपस्या में जुड़ जाता है तो हमारा मन उस तपस्वी की अनुमोदना करने के लिए लालायित हो जाता है । यह प्रचंड आलोक बिखेरता सूर्य, यह असंख्य अमृत किरणे बिखेरता चंद्र, यह असीम जल्ल कल्लों से तरंगायमान समुद्र, यह विशाल धरा, ये उत्तुंग गिरी शिखर, यह प्रवाहमान प्रभंजन । सब तपस्वी के चरणो में शत शत वंदन करते है ।
भगवान ने कर्म निर्जरा के अनेक उपाय बताए है । उनमें से तप यह उत्तम उपाय है । जिस प्रकार जमीन, पानी, वायू की अनुकूलता होने पर वनस्पति लहलहा उठती है । वैसे ही चातुर्मास के दिनों में प्राकृतिक वातावरण भी अनुकूल होता है । गुरु भगवंतो के सानिध्य से हमें तपस्या करने की प्रेरणा मिलती है ।
कहां भी है, *भव कोडी संचियं कम्मं, तवसा निज्जरिज्जइ* अर्थात *तपस्या के माध्यम से करोड़ों भव के कर्म की भी हम निर्जरा कर सकते है* । भौतीक कामना से रहित तप आत्म कल्याण की सुनहरी आभा बिखेर सकता है ।
तप जीवन का अमृत है
तप जीवन जलती ज्योत है
तप से होती है कर्म निर्जरा
तप मोक्षमार्ग का श्रोत है ।
सभी तपस्वियों की हम अनुमोदना करते हैं एवं सभी के ज्ञान ध्यान तप में वृद्धि हो यही शुभकामनाएं देते है ।
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