तेरा किसने किया श्रृंगार बता दे सांवरिया इक बार नजर न लग जाए,
लट मुख पे अति घुंगराली है
अधरन मन भावन लाली है
शामल कोमल चंचल मुखड़ा अखियाँ काली मधुशाली है
धारे होठो पे तुम निशान,
रसिक बंसी है तुम्हारी शान नजर न लग जाए,
जब ठुमक ठुमक कर चाल चले
अखिया देखू मन मल मल के
धरा मोर मुकट सुंदर सिर पे
छवि मधुर अति मनमोहन ये
जो देखे हो जाए वेचन
नही टिक ते सूरत पे नैन
नजर न लग जाए,
तूने जादू ये कैसा मुझपे किया
तुझे जब से श्याम निहार लिया
मैंने केवल इक झलक देखि
मेरी नींद गई मेरा चैन गया
तुझे इक टक देख के श्याम
जपे है भाभिता तेरा नाम
नजर न लग जाए………….