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The Frog Prince Story In Hindi With Moral

बहुत सालों पहले एक बड़े से देश में एक राजा और उनकी रानी बड़े से महल में रहते थे। दोनों राजा और रानी बहुत ही अच्छे थे और वे अपनी प्रजा का अच्छे से ध्यान रखते। उनकी प्रजा भी उनसे बहुत प्यार करती थी।

राजा और रानी की एक बेटी भी थी जो बहुत ही सुंदर थी। लोग ऐसा मानते थे कि वह दुनिया की सबसे सुंदर लड़की है। राजा और रानी उसका बहुत अच्छे से ध्यान रखते और उसकी हर बात को माना करते थे। वे उसकी हर एक जरूरतों को पुरा किया करते।

राजकुमारी अब बड़ी हो चुकी थी। वह अपने खेलने के खिलौनों से ऊब चुकी थी। इसीलिए अब उसे कुछ और चाहिए था जिससे कि वह उसके साथ खेल सके। वह अपनी इस शिकायत को लेकर अपने पिताजी के पास गई और उनसे कहा, “पिताजी, मेरे पास जितने भी खिलौने है मैं उन सब के साथ खेलकर ऊब चुकी हूं। मैं चाहती हूं कि आप मुझे कोई नया और कीमती खिलौना दे। जिसके साथ मैं खेल सकूं।”

अपनी बेटी की यह बात सुनकर राजा ने सोचा कि वह उसे क्या देंगे? तभी उन्होंने अपनी बेटी से कहा, “ठीक है बेटा मैं तुम्हें एक कीमती चीज देता हूं जो मुझे मेरे पिताजी ने दी थी। यह बहुत ही कीमती है और मेरे लिए बहुत खास भी है।”

यह कहकर राजा अपने बिस्तर से उठे और अपनी अलमारी के पास जा पहुचे। उस अलमारी में राजा के बहुत से कीमती चीजें रखी हुई थी। वहां से उन्होंने एक सोने का गेंद निकाला और उसे अपनी बेटी को दिया। अपनी बेटी को वह सोने का गेंद देते वक्त राजा ने उनसे कहा, “बेटा इसका बहुत अच्छे से ध्यान रखना क्योंकि यह बहुत कीमती है।”

राजकुमारी उस गेंद के साथ खेला करती। वह महलों में उस गेंद को लेकर घूमती रहती और घंटों खेलती। वह महलों में कई दिनों तक उनको लेकर खेलने लगी। एक दिन राजकुमारी ने सोचा कि वह इस गेंद को बाहर ले जाकर जाएगी और खुली जगह पर खेलेगी।

उसने वैसा ही किया। वह अपने गेंद को लेकर एक तालाब के पास खेलने लगी। कभी वह गेंद को नीचे फेंकती। कभी वह उसे ऊपर फेंकती। खेलते-खेलते राजकुमारी ने सोचा कि वह गेंद को बहुत ऊपर दूर तक फेकेगी। उसने जोर लगाकर गेंद को ऊपर की ओर फेंका। इसके बाद वह गेंद नीचे आया और जमीन से टकराकर तुरंत तालाब के अंदर चल गया।

तालाब के अंदर उस गेंद को जाता देख वह उदास हो गई और वहां बैठ कर रोने लगी। वह सोच रही थी कि वह उस गेंद को तालाब से बाहर कैसे निकलेगी? लेकिन उसे कुछ भी नहीं सूझ रहा था इसीलिए वह उदास होकर रोने लगी।

जब राजकुमारी बैठे-बैठे रो रही थी तभी उसके पास एक आवाज आई, “चिंता मत करो राजकुमारी मैं आपकी मदद कर सकता हूं।”

यह आवाज सुनकर राजकुमारी ने इधर उधर नजर घुमाया। आसपास देखने के बाद उसे कोई दिखाई नहीं दिया। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह आवाज़ कहाँ से आ रही थी? तभी उनके पास एक मेंढक आया और उसने कहा, “यह मैं बोल रहा हूं राजकुमारी। मैं चाहता हूं कि आप चुप हो जाए और चिंता न करें।”

राजकुमारी के साथ ऐसा पहली बार हो रहा था उन्होंने पहली बार एक मेंढक को बोलते हुए देखा। जिसकी वजह से वह थोड़ी सी घबरा गई। फिर उन्होंने सोचा कि वह मेंढक तो बहुत ही छोटा है तो उससे डरने की कोई जरूरत नहीं है। जैसे ही उनका डर कम हुआ उन्होंने मेंढक से पूछा, “तुम कौन हो और तुम यहां क्या कर रहे हो?”

मेंढक ने राजकुमारी के सवालों का बहुत अच्छे से जवाब दिया और बोला, “राजकुमारी आप देख सकती है कि मैं एक मेंढक हूं और मैं इस तालाब में रहता हूं। मैं जानता हूं कि आपकी जो गेंद है वह इस तालाब के अंदर चली गई है और मैं उसे बाहर निकाल सकता हूं।”

“क्या तुम ऐसा कर सकते हो? क्या तुम मेरी गेंद बाहर निकाल सकते हो? राजकुमारी ने उस मेंडक से पुछा।

जी हां राजकुमारी, मैं उसे निकाल सकता हूं लेकिन मेरी एक शर्त है।”

“क्या है तुम्हारी शर्त?” राजकुमारी ने फिर पूछा।

“मैं चाहता हूं कि आप मुझे अपना दोस्त बनाए और अपने साथ मुझे महलों में ले चले। मैं आपके साथ वहां रहूंगा।” मेंढक की बात सुनकर राजकुमारी ने तुरंत हां कहा।

राजकुमारी के हां कहते ही मेंढक तालाब में कूद गया और कूदकर उस सुनहरी गेंद को लाकर राजकुमारी को दे दिया। राजकुमारी अपनी गेंद को पाकर बहुत ही ज्यादा खुश हो गई और वह महल की ओर वापस जाने लगी। जब राजकुमारी महल में वापस जा रही थी तब मेंढक ने उन्हें आवाज लगाई, “राजकुमारी आप अपना वादा भूल रही है। वादे के मुताबिक आपको मुझे भी अंदर लेकर जाना होगा।”

यह सुनकर राजकुमारी ने उससे कहा, “दूर हट जाओ गंदे मेंढक। कौन तुम्हें अपने साथ लेकर जाएगा? क्या तुमने कभी खुदको देखा है? गंदे मेंढक।”

राजकुमारी की यह बात सुनकर मेंढक को बुरा लगा और वह वापस से तालाब के अंदर चला गया।

रात का समय हुआ और राजकुमारी, राजा और महारानी टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे कि तभी महल दरवाजा किसी ने खटखटाया। राजा ने अपनी नौकरानी को आदेश दिया कि वह जाकर देखें कि दरवाजे पर कौन है? नौकरानी दरवाज़े पर गई ओर उसने दरवाज़ा खोला। उसने दरवाजे पर मेंढक को देखा जो उससे कह रहा था कि उसे राजकुमारी ने दावत पर बुलाया है।

फिर वह नौकरानी राजकुमार के पास गई और उसे यह बात बताएं। राजा ने राजकुमारी से पूछा, “बेटा क्या तुमने किसी को दावत पर बुलाया था?”

“नहीं पिताजी मैंने उसे यहाँ नहीं बुलाया था। वह यहां बिना बुलाए ही आ गया है।” ऐसा कहने के बाद राजकुमारी ने राजा को वह सारी बात बताई जो सुबह उनके साथ हुई थी। यह सब बातें सुनकर राजा ने उनसे कहा, “बेटा अगर तुमने वादा किया था तो तुम्हें अपना वादा निभाना चाहिए। तुम्हें उसके साथ अच्छे से पेश आना चाहिए क्योंकि उसने तुम्हारी मदद की थी। अपने पिता की यह सुनकर राजकुमारी ने नौकरानी से कहा कि वह उस मेंढक को अंदर ले आए। मेंढक अंदर आया और राजकुमारी के प्लेट से खाना खाने लगा। यह सब देखकर राजकुमारी गुस्सा हो रही थी लेकिन वह अपना गुस्सा जाहिर नहीं कर सकती थी इसीलिए वह चुपचाप उसे देखती रही।

जैसे ही खाना खत्म हुआ तब वे दोनों राजकुमारी के कमरे में चले गए। मेंढक को नींद आ रही थी

तो वह राजकुमारी के बिस्तर पर लेट गया और राजकुमारी से कहा, “राजकुमारी मैं आपके बिस्तर पर सो रहा हूं।”

मेंढक की यह बात सुनकर राजकुमारी को और भी ज्यादा गुस्सा आ गया लेकिन अपने पिताजी के चलते वह अपना गुस्सा नहीं दिखा पा रही थी। गुस्सा होकर राजकुमारी मेढ़क के बाजू मे बिस्तर पर सो गई।

जैसे ही अगला दिन हुआ मेंढक ने चिल्लाकर राजकुमारी से कहा, “राजकुमारी उठिए सुबह हो गई है।”

यह समय राजकुमारी के उठने का नहीं था इसीलिए राजकुमारी और गुस्सा हो गई।

राजकुमारी मन ही मन सोचने लगी कि कैसे वो इस मेंढक से छुटकारा पा सकती है? तभी मेंढक राजकुमारी से कहा, “मैं जानता हूं कि आप मुझसे छुटकारा पाना चाहती है। अगर आप मुझसे छुटकारा पाना चाहती हैं तो आपको एक काम करना होगा और ऐसा करने के बाद मैं यहां से चला जाऊंगा।”

अच्छा मुझे क्या करना होगा जल्दी बताओ।” राजकुमारी ने मेंढक से पूछा।

“आपको मुझे एक किस करना होगा। उसके बाद मैं यहां से चला जाऊंगा।”

यह सुनकर राजकुमारी ने गुस्से से मेंढक को कहा, “क्या तुमने कभी अपने आपको देखा है? गंदे भद्दे मेंढक कहीं के। मैं तुम्हें भूल कर भी किस नहीं करूंगी।”

“ठीक है आप मत करिए। वैसे भी यहां पर मुझे बहुत मजा आ रहा है और फिर रोज सुबह आपको उठाने में भी मुझे कोई दिक्कत नहीं है।” मेंढक ने कहा।

मेंढक की ऐसी बात सुनकर राजकुमारी थोड़ी देर सोचने लगी की उन्हें मेंढक से छुटकारा पाना है। इसके लिए उन्हे बस एक छोटा सा किस करना पड़ेगा। इसीलिए राजकुमारी किस करने को तैयार हो गई। राजकुमारी ने उसे अपने हाथ में उठाया और उसे एक किस की।

मेंढक को किस करने की बाद अचानक एक सफेद रोशनी से पुरा कमरा भर गया। कमरे में इतनी रोशनी थी की राजकुमारी को कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था। जब कमरे से रोशनी गायब हुई तब वहाँ एक राजकुमार खड़ा था। यह देख राजकुमारी चौक गई और उस सामने खड़े व्यक्ति से पूछी, “तुम कौन हो और वह मेंढक कहां गया।”

राजकुमारी की चिंता को दूर करने के लिए उस व्यक्ति ने राजकुमारी से कहा, “चिंता मत करिए वह मेंढक मैं ही था। दरअसल बात यह है कि मैं दूर देश का एक राजकुमार हूँ और एक जादूगर ने मुझपर एक जादु किया था। जिसके बाद से मैं एक मेंढक बन गया था। उस मेंढक से वापस इंसान बनने के लिए मुझे एक राजकुमारी के साथ रात गुज़ारना था और उस राजकुमारी को मुझे किस करना था। जैसे ही आपने यह किया मैं फिर से इंसान बन गया और आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जो आपने मुझे किस किया।”

ऐसा होने के बाद राजकुमारी उस राजकुमार को अपने माता पिता के पास ले गई और उन्हें सारी बात बताई। राजा और रानी ने उस राजकुमार की खातिरदारी करने को कहा। कुछ दिनों बाद राजकुमार और राजकुमारी को एक दूसरे से प्यार हो गया और दोनों ने एक दूसरे से शादी कर ली। फिर दोनों एक साथ हमेशा के लिए खुशी- खुशी रहने लगे।

Moral of the story – हमें दूसरों को दिए गए वादे को जरूर निभाना चाहिए। अगर कोई हमारी मदद करें तो उसे धन्यवाद करना चाहिए।

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