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चीन के संत च्वांगत्से को कपाल ने दिया ज्ञान

चीन के संत च्वांगत्से को कपाल ने दिया ज्ञान
चीन के संत च्वांगत्से को कपाल ने दिया ज्ञान

चीन के प्रसिद्ध संत च्वांगत्से रात के समय घूम रहे थे। अचानक उनको ठोकर लगी। उन्होंने संभल कर देखा वहां एक मानव की खोपड़ी पड़ी हुई थी। दार्शनिक कुछ देर खड़े होकर सोचते रहे फिर उन्होंने खोपड़ी उठाई और अपने थैले में डाल दी। उस दिन के बाद जब भी वे कहीं जाते उसे अपने साथ ही रखते।

एक दिन उनके शिष्यों ने च्वांगत्से से पूछा, गुरुजी आप यह मानव कपाल क्यों लिए रहते हैं। तब गुरुजी बोले, क्योंकि यह खोपड़ी बहुत सारी समस्याओं का समाधान करती है।

जब भी कोई व्यक्ति ज्यादा क्रोध या अंहकार करता है। तब में इस खोपड़ी को दिखाते हुए कहता हूं कि संसार की एक न एक दिन यही दशा सभी की होनी है। ऐसे में व्यर्थ का अभिमान क्यों?

जब मैं स्वयं क्रोधित होता हूं या लालच सताता है तब मैं इस खोपड़ी को देख लेता हूं। मेरा क्रोध और लोभ वहीं समाप्त हो जाता है।

In English

China’s famous Saint Chwanatsa was roaming around the night Suddenly they stumbled. He looked calm and saw a human skull lying there. The philosophers stood up for a while and thought, then they picked up the skull and put it in their bag. After that day, whenever they go somewhere they keep it with them.

One day his disciples asked Chwanatsa, Guruji why do you keep this human skull. Then the master said, because this skull satisfies many problems.

Whenever a person is more angry or inhuman. Then I show this skull in that it is the same condition of the world that one day or so. Why such pride of vanity?

When I am angry or induce greed, then I see this skull. My anger and covetousness end there.

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