अपनी नासमझी की वजह से शेखचिल्ली कई सारी नौकरियों से हाथ धो बैठा था। कुछ समय बाद शेखचिल्ली को अपने पास की ही एक दुकान में काम मिल गया। उसे रोज दुकानदार कुछ सामान दूसरी जगह पर पहुंचाने को कहता था। इसी तरह एक दिन दुकानदार ने शेख को एक नमक की बोरी देकर किसी अन्य गांव पहुंचाने के लिए कहा।
शेख भी खुशी-खुशी अपने सिर पर बोरी लादकर आगे की ओर बढ़ने लगा। उस रास्ते में एक नदी पड़ती थी। उसे पार करते समय अचानक नमक की बोरी नदी में गिर गई। किसी तरह से शेख ने नदी से बोरी को निकाला और फिर से सिर पर लाद लिया।
पानी में बोरी के गिरने की वजह से काफी नमक पिघल गया था, इसलिए शेख को बोरी हल्की लगने लगी। भार कम होने की वजह से शेख तेजी से वहां पहुंच गया, जहां उसे जाना था। नमक की बोरी को उस जगह पर छोड़कर शेख वापस दुकान पर लौटने लगा।
इधर, शेख ने जिस जगह बोरी पहुंचाई थी वहां से दुकानदार तक यह संदेश पहुंच गया कि बोरी हल्की थी। उधर, शेख जैसे ही दुकान वापस पहुंचा, तो उसके मालिक ने बोरी के वजन के बारे में पूछा। शेख ने सारी घटना उसे बता दी। दुकानदार ने इसे शेख से अनजाने में हई गलती समझकर माफ कर दिया और उसे दूसरे कामों पर लगा दिया।
कुछ दिनों बाद शेख को दुकानदार ने रूई की बोरी लेकर उसी पते पर भेजा जहां वो नमक लेकर गया था। शेख ने तुरंत रूई की बोरी उठाई और आगे को बढ़ने लगा। रूई की बोरी थी तो हल्की, लेकिन शेख के दिमाग में नमक की बोरी के हल्के होने वाली बात घूम रही थी।
यही सोचते हुए शेखचिल्ली उस नदी के पास पहुंच गया, जहां नमक की बोरी गिरी थी। शेख के मन में हुआ कि नमक की बोरी यहां गिरने से हल्की हो गई थी, तो क्यों न इस नदी में इस रूई की बोरी को भी गिरा दिया जाए। इसी सोच के साथ शेख ने रूई की बोरी को नदी में गिरा दिया और फिर कुछ देर बाद उसे उठाने की कोशिश करने लगा।
तबतक रूई ने काफी सारा पानी सोख लिया था और वो हल्की बोरी भारी हो गई। किसी तरह से शेख ने उस भारी बोरी को कंधों पर लादा और उसी पते पर पहुंच गया, जहां नमक ले गया था। इस बार बोरी भारी देखकर उस व्यक्ति ने दोबारा दुकानदार तक यह बात पहुंचा दी।
अब जैसे ही शेख दुकान में पहुंचा, तो मालिक ने उससे पूछा कि आज बोरी भारी कैसे हो गई। शेख ने कहा, “मालिक आज दोबारा बोरी पानी में गिर गई थी।”
दुकानदार समझ गया कि शेखचिल्ली इस बोरी को भी नमक की बोरी की तरह हल्की करना चाहता था, इसलिए जानबूझकर बोरी को पानी में डाला होगा।
इस बात से नाराज होकर दुकानदार ने शेखचिल्ली को अपनी दुकान से निकाल दिया और दोबारा शेखचिल्ली की नौकरी चली गई।
कहानी से सीख :
कामचोरी करने की कोशिश करने वालों का काम बढ़ जाता है। साथ ही हर परिस्थिति में एक ही नियम लागू नहीं होता है, इसलिए एक बार बोरी गिरकर हल्की हो गई और दूसरी बार भारी।