सिलाई मशीन से एक बहुत ही रोचक कहानी जुड़ी हुई है। कहते हैं जब सिलाई मशीन के आविष्कारक एलियास होवे ने सिलाई मशीन बना तो ली लेकिन जब वह उसे चलाने का प्रयास करते, तो बार-बार या तो धागा उलझ जाता या टूट जाता।
एलियास ने मशीन की अच्छी तरह जांच-परख की तो उन्हें पता चला कि बाकी सब तो ठीक है केवल सूई ही परेशानी पैदा कर रही है। एलियास हैरान थे। सूई में क्या कमी है, यह उन्हें बार-बार परेशान क्यों कर रही थी, उन्हें बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था।
नींद में भी उनके दिमाग में हर समय सूई घूमती रहती थी। एक दिन उन्होंने सपने में देखा कि एक आदिवासी अपना भाला लेकर उन्हें मारने के लिए आ रहा है।
भाला धूप में चमक रहा था। अचानक एलियास की तेज नजर उस भाले पर गई तो उसने भाले की नोक पर एक छेद देखा। छेद धूप में चमक रहा था। एलियास सपने में बार-बार उस छेद को देखते रहे। तभी उनकी नींद खुल गई।
वह खुशी से उछल पड़े और अपनी सिलाई मशीन के पास गए। उन्होंने इस बार उसके लिए एक ऐसी सूई बनाई जिसकी नोक के पास छेद बना हुआ था। इसके बाद उन्होंने उस सूई को मशीन में फिट किया। सूई की नोक में धागा डाला। धागा डालने के बाद उन्होंने मशीन चलाई तो धागा निरंतर चाल के साथ दौड़ता रहा, न उलझा और न टूटा।
In English
A very interesting story is attached to the sewing machine. It is said that when the sewing machine inventor Elias Howe made the sewing machine, but when he tried to run it, then the thread would have been tangled or broken.
Elias examined the machine thoroughly and then came to know that everything else is fine. Only the needle is causing trouble. Elias was shocked. What was lacking in the needle, why was it troubling them repeatedly, they could not understand at all.
During sleep, the needle used to rot in their mind all the time. One day he saw in the dream that an aboriginal is taking his spear and coming to kill him.
The spear was shining in the sun. Suddenly, the sharp eye of Elias went on that spear, he saw a hole in the spear’s tip. The hole was shining in the sun. Elias kept looking at that hole again and again in the dream. Only then did his sleep open.
He jumped happily and went to his sewing machine. This time, he made a needle for him that had a hole in his ear. After this, he fitted the needle into the machine. Put the thread in the tip of the needle. After throwing the thread, he ran the machine, then the thread continued with the continuous move, neither complicated nor broken.