किसी देश में वसु सेन नाम का एक राजा राज करता था। वो एक पुरुषार्थी और चक्रवर्ती सम्राट था। लेकिन उनके राज ज्योतिषी ने उनका मस्तिष्क ज्योतिष की ओर मोड़
मनुष्य जैसा कर्म करता है उसको वैसा ही फल मिलता है। मनुष्य के द्वारा किया गया कर्म ही उसका प्रारब्ध बनता है । या फिर ऐसे भी कह सकते हैं की किसान जो बीज खेत में बोता है वह ही बाद में फसल के रूप में काटता है। गीता में भगवान् श्री कृष्ण ने कहा है कि कोई भी मनुष्य बिना कर्म किए नहीं रह सकता। एक मानव को ही भगवान ने यह अधिकार दिया है कि वह अपने कर्मों का खुद चयन कर सके। जैसा कर्म करेंगे वैसा ही हमें उसका फल मिलेगा।
एक बार कि बात है किसी देश में वसु सेन नाम का एक राजा राज्य करता था। वो एक पुरुषार्थी और चक्रवर्ती सम्राट था। लेकिन उनके राज ज्योतिषी ने उनका मस्तिष्क ज्योतिष की ओर मोड़ रखा था।
राजा बिना मुहूर्त देखे कोई भी काम नहीं करते थे। एक दिन वसु सेन अपने देश के दौरे पर निकले, रास्ते में उन्हें एक किसान मिला जो हल-बैल लेकर खेत जोतने जा रहा था।
राज् ज्योतिषी ने उसे रोककर कहा, ‘तुम जिस दिशा की तरफ जा रहे हो उससे तुम्हें हानि होगी।’ राज ज्योतिषी ने ऐसा इसलिए कहा कि क्यों कि वह राजा के सामने अपना ज्ञान बताना चाह रहा था।
किसान ने कहा, ‘में बिल्कुल इसी तरह खेत पर जाता हूं। यदि ऐसा होता तो मुझे रोज ही हानि होती।’
राज ज्योतिषी ने कहा,’ तो तुम अपना हाथ दिखाओ ।’ किसान नाराज हो गया वह बोला, ‘मैं अपना हाथ किसी के सामने क्यों फैलाऊं मेहनत मजूरी करता हूं। मुहूर्त और हस्तरेखा तो वो देखते हैं जो कर्महीन और निठल्ले होते हैं। मुझे तो कर्म और कर्मफल पर जरा भी शंका नहीं है।
यह सुनकर राज ज्योतिषी के पास कोई जवाब नहीं था। लेकिन राजा वसु सेन समझ गए कि कर्मफल से श्रेष्ठ कुछ भी नहीं है। तब वह जान गया कि दुनिया का सबसे बड़ा फल ‘कर्मफल’ है।
जिस तरहं से आकाश में मिटटी उछालने पर वह मुंह पर ही गिरती है उसी तरहं से मूर्ख व्यक्ति जब अचे लोगों के साथ बुरा करने की कोशिश करते हैं तो उनका खुद का ही बुरा होता है। प्रत्येक कर्म बीज के समान होता है और जैसा हम बीज बोएंगे वैसा ही फल पाएंगे।
कर्म कहता है कभी भी अचे लोगों का परीक्षण न करें , क्योंकि वे हीरे की तरहं हैं ,जब आप उन्हें मरेंगे तो वे टूटेंगे नहीं बल्कि वे केवल आपके जीवन से दूर हो जाएंग। कर्मों की आवाज़ शब्दों से ऊंची होती है।
Hindi to English
A person gets the same result as he does. Karma done by a human being becomes his destiny. Or it can also be said that the seed that the farmer sows in the field, he only reaps as a crop later. In the Gita, Lord Shri Krishna has said that no human being can live without doing deeds. God has given a human being the right to choose his own actions. We will get the result of what we do.
Once upon a time there was a king named Vasu Sen in a country. He was a Purusharti and Chakravarti Emperor. But his royal astrologer kept turning his mind towards astrology.
The king did not do any work without seeing a muhurat. One day Vasu Sen set out on a tour of his country, on the way he found a farmer who was going to plow the field with plow and bullock.
The state astrologer stopped him and said, “The direction you are going will harm you.” The king astrologer said this because he wanted to reveal his knowledge to the king.
The farmer said, ‘I go to the farm just like that. If that were the case, I would have suffered every day. ‘
The Raj astrologer said, ‘Then you show your hand.’ The farmer got angry, he said, ‘Why should I spread my hand in front of someone, I work hard. Muhurta and palmistry are those who are unarmed and downright. I have no doubt on karma and karma.
Hearing this, the astrologer had no answer. But King Vasu Sen understood that there is nothing better than karma. Then he came to know that the biggest fruit of the world is ‘Karmaphal’.
Just as the soil falls in the sky when it falls on the mouth, in the same way, when foolish people try to do bad things to their own people, they get their own bad. Every karma is like a seed and we will reap the same fruits as we sow.
Karma says never test good people, because they are like diamonds, when you die they will not break, but they will only get away from your life. The voice of deeds is higher than words.