तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो मेरी बांसुरी का गीत हो,
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो मन मीत हो राधे मेरी मन मीत हो,
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो मेरी बांसुरी का गीत हो……
परमात्मा का स्पर्श हो…राधे,
पुलकित हिर्ध्ये का हर्ष हो,
तुम हो समपर्ण का शिखर,
तुम ही मेरा उत्कर्श हो,
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो मेरी भावना की तुम जीत हो,
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो मेरी बांसुरी का गीत हो……
हु मैं यहाँ तुम हो वहा…राधे,
तुम बिन नही है कुछ यहा,
मुझमे धडकती हो तुम्ही,
तुम दूर मुझसे हो कहा,
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो मन मीत हो राधे मेरी मन मीत हो,
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो मेरी बांसुरी का गीत हो…..
नटनागर मोहन गिरधारी,
नटनागर मोहन गिरधारी….
राधा कृष्णा..कृष्णा
कृष्णा राधा..कृष्णा…….