उधो क्या बताये तुमे इस दिल की बीमारी का
गये छोड़ तडपते हमे क्या बिगाड़ा बिहारी का
उधो क्या बताये तुमे इस दिल की बीमारी का
ढूंढे ब्रिज गलियां में बन के मैं वावरियां
बस इक झलक चाहू ना सताओ तुम सांवरियां
बहे नैनं से जो क्या करे जल धारी का
गये छोड़ तडपते हमे क्या बिगाड़ा बिहारी का
रात सपने में आ मोहन झूठा दे दिलासा गये,
राह तकते मोहन तुम दे कर के झांसा गए,
बेहाल हुई गम में हल दे सिरहारी का
उधो क्या बताये तुमे इस दिल की बीमारी का
कौन नगरी में जा के बसे जो बुल गए हम को
बाबा किस में मिला के पिए ओ बिहारी तेरे गम को
अब सबर का बाँध टुटा इस राधा विचारी का
उधो क्या बताये तुमे इस दिल की बीमारी का………….