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समूह की शक्ति

नंदनवन के एक वृक्ष पर गौरैया का एक जोड़ा रहता था। उस वृक्ष पर अनेक पक्षी रहते थे। गौरैया ने अंडे दिए थे। गौरैया का जोड़ा बड़ी बेसब्री से उनमें से बच्चे निकलने का इन्तजार कर रहा था।

उसी जंगल में एक दुष्ट हाथी रहता था। उसे अपनी ताकत का बड़ा घमंड था। यहां तक कि जंगल का राजा शेर भी उससे लड़ने से बचता था। उसे जंगल के पशु पक्षियों को सताने में बड़ा मजा आता था। वह जानवरों को अपनी सूड़ में लपेटकर दूर फेंक देता था। पक्षियों के घोसले तोड़ देता था। यहां तक कि पेड़ की डाल पर बैठे पक्षियों को देखकर वह डाल ही तोड़ देता था।

इसी तरह एक दिन उसने गौरैया दंपति को पेड़ की डाल पर प्रेमपूर्वक बैठे देखा तो उससे रहा नहीं गया। उसने अपनी सूड़ में फंसा कर वह डाल ही तोड़ डाली। गौरैया का जोड़ा तो किसी प्रकार बच गया। लेकिन सारे अंडे जमीन पर गिरकर टूट गए। गौरैया दंपति को अपार दुख हुआ। दुख और क्रोध से गौरैया रोने लगी। उसी वृक्ष पर एक कठफोड़वा भी रहता था। उससे गौरैया का दुख नहीं देखा गया। वह उसे सांत्वना देने लगा।

तब गौरैया बोली, “इस दुष्ट हाथी ने हमारा घर उजाड़ दिया। साथ ही हमारे बच्चों को जन्म लेने से पहले ही मार दिया। जब तक इसे सजा नहीं मिलेगी। मेरे मन को चैन नहीं मिलेगा।”

कठफोड़वा ने जवाब दिया, “हम बहुत छोटे और शक्तिहीन हैं। अकेले तो हम उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। लेकिन साथ मिलकर हम उसे सजा देने का प्रयास कर सकते हैं। एक मक्खी मेरी मित्र है। मैं उससे बात करता हूँ वह हमारी सहायता अवश्य करेगी।

कठफोड़वा, गौरैया जोड़े के साथ मक्खी के पास गया। सारी बात सुनकर मक्खी ने कहा, “मैं तुम्हारी सहायता के लिए तैयार हूं। लेकिन मेरे पास कोई योजना नहीं है। एक मेंढक मेरा मित्र है। वह बहुत बुद्धिमान है। हम उसके पास चलते हैं। वह जरूर कोई न कोई उपाय करेगा।”

सब लोग मेंढक के पास पहुंचे। उसने सारी बात सुनी और बोला, “यह सच है कि वह हाथी बहुत ताकतवर है। जंगल का राजा भी उससे भिड़ने में संकोच करता है। लेकिन समूह में शक्ति होती है। साथ मिलकर बड़े से बड़े शक्तिशाली को भी हराया जा सकता है। मेरे पास एक योजना है। अगर हम उसके अनुसार काम करें तो हम उसे दंड दे सकते हैं।

दूसरे दिन जब हाथी एक पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। तभी योजनानुसार मक्खी उसके कान के पास जाकर मधुर स्वर में गीत गाने लगी। मदमस्त होकर हाथी ने अपनी आंखें बंद कर ली। कठफोड़वा इसी के इंतजार में था। उसने अपनी नुकीली चोंच से हाथी की दोनों आंखें फोड़ दीं। हाथी अंधा हो गया। उसे प्यास लगी तो वह इधर उधर पानी तलाश करने लगा। इस समय मेंढक एक गहरे सूखे गड्ढे के पास बैठकर टर्र टर्र करने लगा।

हाथी को लगा कि उस जगह तालाब है। वह पानी पीने के लिए आगे बढ़ा और गड्ढे में गिर गया। गड्ढा इतना गहरा था कि हाथी उसमें से निकल नहीं पाया। जिसके कारण भूख प्यास से उसकी मृत्यु हो गयी।

इस तरह सामूहिक प्रयास से छोटे छोटे जीवों ने विशालकाय हाथी को खत्म करके उसे सजा दे दी।

सीख: इस कहानी से यह सीख मिलती है कि समूह में शक्ति होती है। सामूहिक प्रयास से असम्भव दिखने वाले कार्य को भी पूर्ण किया जा सकता है। कहा भी गया है– संघे शक्ति कलियुगे।

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