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विश्वासघात का फल !!

एक दिन चार चोरों ने किसी बड़े व्यापारी के घर में चोरी करने की योजना बनाई । और वह अपने नगर के एक बड़े सेठ के यहां चोरी करने पहुंचे। चूंकि उस दिन सेठ नगर से बाहर था। इसीलिए चारों चोरों ने आराम से सेठ की पूरी कमाई में हाथ साफ कर दिया। और वह सारा धन लेकर जंगल की तरफ चले गए।

चारों चोरों ने जंगल में ही रात बिताने का निश्चय किया । क्योंकि सुबह से सब ही भूखे थे। इसीलिए सब ने मिलकर तय किया कि पहले वह कुछ खा पी लेंगे उसके बाद ही धन का बंटवारा करेंगे।

पास में ही एक शहर था। जहां खाने-पीने का सामान आराम से मिल सकता था ।अब चारों चोरों ने निश्चय किया कि उनमें से दो लोग शहर जाकर खाना लेकर आएंगे और शेष दो लोग वहीं पर रह कर लुटे हुए माल और रूपए पैसे की देखभाल करेंगे।

दो चोर जो शहर में खाना लेने जा रहे थे ।अचानक ही उनकी नियत बिगड़ गई और उनके मन में यह ख्याल आया कि अगर हम सामान की देखभाल करने वाले दोनों चोरों को मार दें । तो हम दोनों लूटे गए माल को आधा-आधा आपस में बांट सकते हैं।

और वो सामान की रखवाली करने वाले अपने ही दो दोस्तों को मारने की योजना बनाने लगे। लेकिन यही ख्याल सामान की देखभाल करने वाले दोनों चोरों के मन में भी आया। अत: उन्होंने भी एक योजना बनाई।

खाना खरीदने गए दोनों चोरों ने खाना खरीदने के बाद उसमें जहर मिला दिया और वो अपनी योजना के मुताबिक अपने दोस्तों के पास वापस आ गए।

इधर सामान के पास बैठे दोनों दोस्तों की भी योजना तैयार थी ।उन्होंने खाना लेकर आए अपने दोनों दोस्तों का बड़े प्यार से स्वागत किया और उन्हें कुएं पर चलकर हाथ मुंह धोने को कहा।

जब दोनों चोर कुएं में जाकर हाथ मुंह धोने लगे तो दूसरे दो चोरों ने उन्हें जोर से धक्का मार दिया ।जिसकी वजह से वो कुएं में गिर पड़े और उनकी तत्काल मृत्यु हो गई ।

इसके बाद बचे दोनों चोर खुशी-खुशी अपने सामान के पास वापस आए और जोरों से भूख लगे होने के कारण उन्होंने खाना खाने के बाद लूटे हुए सामान को आपस में बांटने का फैसला किया।

लेकिन खाने में तो जहर मिला हुआ था। इसीलिए जैसे ही उन दो चोरों ने खाना खाया ।जहर उनके पूरे शरीर में फैल गया और वो दोनों भी तड़प तड़प कर मर गए। इस तरह चारों चोरों का अन्त हो गया।

Moral Of The Story

अपने दोस्तों व परिजनों से कभी भी विश्वासघात नही करना चाहिए। विश्वासघात का नतीजा हमेशा बुरा ही होता हैं। 

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