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वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर

वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर, जिसे वृंदावन में निर्मित किया जा रहा है, विश्व के सबसे ऊँचे हिन्दू मंदिरों में से एक होने का दावा करता है। यह मंदिर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है, जो कि भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े पवित्र शहर वृंदावन में निर्मित किया जा रहा है। इस मंदिर का निर्माण इस्कॉन (अंतरराष्ट्रीय सोसाइटी फॉर कृष्ण कॉन्शसनेस) के अंतर्गत हो रहा है।

वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर की योजना भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक परिसर के रूप में है, जिसमें अनेक सुविधाएँ और आकर्षण शामिल होंगे। यह मंदिर लगभग 700 फीट (लगभग 210 मीटर) ऊँचा होने की उम्मीद है, जो इसे न केवल वृंदावन बल्कि पूरे विश्व में सबसे ऊँचा धार्मिक स्थल बना देगा।

मंदिर का डिजाइन भगवान कृष्ण की विभिन्न लीलाओं और पौराणिक कथाओं को प्रदर्शित करने के लिए अनेक गैलरियाँ और प्रदर्शनी कक्षों के साथ योजनाबद्ध है। इसमें एक विशाल कृष्ण लीला पार्क भी शामिल होगा, जो भक्तों और पर्यटकों को भगवान कृष्ण की लीलाओं का अनुभव कराने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

मंदिर परिसर में आध्यात्मिक सीखने के केंद्र, ध्यान केंद्र, और अन्य धार्मिक गतिविधियों के लिए स्थान भी होगा। इसके अलावा, इस परिसर में विश्वासियों के लिए आवासीय ब्लॉक और आगंतुकों के लिए अतिथि सुविधाएं भी होंगी।

वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर का उद्देश्य भगवान कृष्ण की भक्ति और उनके दिव्य संदेश को विश्व भर में फैलाना है, और यह वृंदावन को एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में और भी अधिक प्रमुखता प्रदान करेगा।

दुनिया में अब तक का सबसे विशाल, भव्य और में बनाया जा रहा है। भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर का नाम चन्द्रोदय मंदिर है। यह मंदिर कुतुब मीनार से भी तीन गुना उंचा होगा। इतना ही नहीं, इस मंदिर की नींव दुनिया की सबसे उंची इमारत बुर्ज खलीफा से भी तीन गुना गहरी होगी।
वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर की ऊंचाई 700 फुट अथवा 210 मीटर होगी। दिल्ली में 72.5 मीटर के कुतुब मीनार से इस इसकी ऊंचाई 3 गुना ज्यादा होगी, जिस के कारण पूर्ण होने पर, यह विश्व का सबसे ऊंचा धर्मालय बन जाएगा।
इसके गगनचुम्बी शिखर के अलावा इस मंदिर की दूसरी विशेष आकर्षण यह है की मंदिर परिसर में २६ एकड़ के भूभाग पर चारों ओर १२ कृत्रिम वन बनाए जाएंगे। मंदिर के वन क्षेत्र को कुछ वैसा ही बनाने का प्रयास किया जाएगा जैसा विवरण कृष्ण साहित्य में मिलता है। पूरी तरह से तैयार होने के बाद यह मंदिर कृष्ण भक्तों की वृंदावन की कल्पना को पूरी तरह से साकार करेगा।
इस मंदिर को बनाने में लगभग 700 करोड़ रुपए से ज्‍यादा खर्च होंगे। मंदिर की सबसे ऊंची मंजिला का नाम ब्रज मंडल दर्शन रखा गया है। यहां से ब्रज के 76 धार्मिक स्थानों और ताजमहल तक को दूरबीन से देखा जा सकेगा। पूरे मंदिर का भ्रमण करने में श्रद्धालुओं को तीन से चार दिन लगेंगे।
इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियेसनेस (इस्कॉन), बेंगलुरु के श्रद्धालुओं ने 2006 में इस मंदिर को बनाने की योजना बनाई थी। 8 साल की तैयारियों के बाद 2014 में इस मंदिर की नींव रखी गई। इस साल 16 मार्च 2014 मे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस मंदिर की आधारशिला रखी थी। यह मंदिर इसी वर्ष 2023 में भक्तों के लिए खुल जायेगा। मगर सम्पूर्ण कार्य 2026 तक पूरा कर लिया जायेगा ! फिलहाल एक हजार मजदूर यहां काम कर रहे हैं, एक साल बाद यह संख्‍या तीन गुनी हो जाएगी।

पूरी बिल्डिंग में 511 पिलर होंगे। इन पर पूरी बिल्डिंग का वजन 5 लाख टन होगा, जबकि ये पिलर नौ लाख टन वजन सह सकते हैं। मंदिर के लिए हाई स्पीड लिफ्ट तैयार की जा रही है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यदि किसी तूफान की वजह से बिल्डिंग एक मीटर झुक भी गई तो भी लिफ्ट सीधी चलती रहेगी। गति और दिशा में परिवर्तन नहीं होगा।
परंपरागत द्रविड़ और नगर शैली में बनाया जा रहा यह मंदिर, 200 सालों में अब तक का सबसे मॉडर्न मंदिर होगा, जिसमें 4डी तकनीक द्वारा देवलोक और देवलीलाओं के दर्शन भी किए जा सकेंगे। इसके अलावा इसमें श्रीकृष्ण के जीवन लीलाओं को जानने के लिए लाइब्रेरी तथा अन्य माध्यम भी होंगे।

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