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हम इसीलिए खो देते हैं शांति

एक हिन्दू सन्यासी अपने शिष्यों के साथ गंगा नदी के तट पर नहाने पहुंचे। उन्होंने देखा कि वहां एक ही परिवार के कुछ लोग आपस में बात करते हुए एक दूसरे पर क्रोधित हो हो रहे थे।
सन्यासी यह दृश्य देखकर रहा नहीं गया और उसने तुरंत अपने शिष्यो से पूछा कि क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं? शिष्य कुछ देर सोचते रहे, तभी एक शिष्य ने उत्तर दिया कि ‘क्योंकि हम क्रोध में शांति खो देते हैं पर जब दूसरा व्यक्ति हमारे सामने ही खड़ा है तो भला उस पर चिल्लाने की क्या ज़रुरत है, जो कहना है वो आप धीमी आवाज़ में भी तो कह सकते हैं।’
सन्यासी ने फिर से प्रश्न किया तब कुछ और शिष्यों ने भी अपने-अपने विवेक से उत्तर देने का प्रयास किया पर इन जवाब से लोग संतुष्ट नहीं हुए।
तब सन्यासी ने समझाया कि ‘जब दो लोग आपस में नाराज होते हैं तो उनके दिल एक दूसरे से बहुत दूर हो जाते हैं ऐसी परिस्थिति में वह एक दूसरे पर बिना चिल्लाए बात नहीं सुन सकते उनको क्रोध आएगा और उनके बीच की दूरी उतनी ही अधिक हो जाएगी इसलिए वह तेजी से चीखते चिल्लाते हैं।’

In English

A Hindu monk came to his disciples on the banks of river Ganga along with his disciples. They saw that some people from the same family were getting angry at each other while talking to each other.
The monk was not seeing this view and he immediately asked his disciples why people in a rage shout at each other. The disciple kept thinking for a while, then a disciple replied, ‘Because we lose peace in anger but when the other person is standing in front of us then what is the need to shout at him, what you have to say is also in a slow voice Then you can say that. ‘
The priest asked again, while some other disciples tried to answer their conscience but the people were not satisfied with the answers.
Then the ascetic explained that ‘when two people are angry with each other, their hearts become very distant from each other. In such a situation, they can not listen to each other without screaming; They will get angry and the distance between them is as high So he screams screaming fast. ‘

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