दोस्तों हम आपको बुधवार के व्रत के बारे में बताएंगे कि बुधवार के व्रत की विधि क्या है और इसकी कथा क्या है और इस दिन कौन से देवता की पूजा की जाती है ?
तो बुधवार का व्रत ग्रह शांति तथा सब सुखो की इच्छा रखने वालों को अवश्य करना चाहिए इस व्रत में रात और दिन केवल एक बार ही
भोजन करना होता है| इस व्रत के समय हरी वस्तुओं का उपयोग करना श्रेष्ठ माना जाता है| इस दिन श्री गणेश जी की पूजा होती है| वैसे तो बुधवार का दिन बुध देवता का होता है| लेकिन ये दिन श्री गणेश जी को अर्पण किया जाता है| इस दिन बुधवार की कथा सुनकर आरती के बाद प्रसाद लिया जाता है| चलिए अब बात करते हैं|
बुधवार की व्रत की कथा एक समय की बात है| एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा कराने के लिए अपने ससुराल गया वहां पर कुछ दिन रहने के बाद सास ससुर से विदा करने के लिए कहा तब सब ने कहा आज बुधवार का दिन है| आज के दिन गमन नहीं करते वह व्यक्ति किसी प्रकार ना माना और हटघन करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा रहा में उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति से कहा मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया जैसे ही वह व्यक्ति पानी लेकर अपने पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया कि ठीक उसकी जैसी ही सूरत तथा वैसे ही वेशभूषा मैं एक व्यक्ति उसके पत्नी के निकट बैठा हुआ है| दूसरा व्यक्ति बोला कि यह तो मेरी पत्नी है|
मैं अभी-अभी ससुराल से विदा कराकर ला रहा हूं| वह दोनों व्यक्ति आपस में झगड़ा करने लगे तभी आरजे के सिपाहियों ने आ कर लौटे वाले व्यक्ति को पकड़ लिया और स्त्री से पूछा तुम्हारा पति कौन है| तब पत्नी निशांत ही रही क्योंकि दोनों व्यक्ति बिल्कुल एक जैसे थे| उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह किसे अपना पति कहें लोटी वाला व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करते हुए बोला हे| परमात्मा ये क्या लीला है की सच्चाई इंसान ही झूठा बन रहा है| तभी आकाशवाणी हुई की हे मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नहीं करना था|
तूने किसी की बात नहीं मानी ये सब लीला बुध देव भगवान की है| उस व्यक्ति ने बुद्ध देव भगवान से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी तब बुध देव जी अंतर्ध्यान हो गए वह अपनी पत्नी को लेकर घर आया तथा बुधवार का व्रत वह दोनों पति-पत्नी नियम पूर्वक करने लगे जो व्यक्ति इस कथा को पढ़ता व सुनता है| उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोस्त नहीं लगता उसको सर्व प्रकार की सुखों की प्राप्ति होती है|
बोलिए श्री बुद्ध देव भगवान की जय
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Friends, we will tell you about Wednesday’s fast, what is the method of Wednesday’s fast and what is its story and which deity is worshiped on this day?
So Wednesday’s fast, those who wish for planet peace and all happiness, must do this night and day only once in this fast.
Food has to be taken. It is considered best to use green items during this fast. Lord Ganesha is worshiped on this day. By the way, Wednesday is the day of the deity Mercury. But this day is offered to Shri Ganesh ji. On this day, Prasad is taken after Aarti after hearing the story of Wednesday. Let’s talk now.
The story of Wednesday’s fast is a matter of time. A man went to his in-laws to send his wife away. After staying for a few days there, the mother-in-law asked her to leave. Then everyone said that today is Wednesday. Today, the person does not walk, he does not listen to any kind and after leaving his wife on Wednesday, by walking away, his wife is thirsty while walking in her city, she told her husband, I am thirsting very hard then The person took the lotus and went to take water from the chariot. As soon as that person came near his wife with water, he was surprised to see that a person sitting near his wife, with the same appearance and similar costumes. The second person said that this is my wife.
I am just bringing my mother-in-law off. The two men started quarreling with each other, when the soldiers of RJ came and caught the returning person and asked the woman who is your husband. Then the wife remained Nishant because the two men were exactly the same. She could not understand that whom she called her husband, the person with a lotus said while praying to God. God, what is this leela that the truth is that man is becoming a liar. Then there was a voice in the sky that, O fool, you did not have to travel on Wednesday.
You did not listen to anyone but all this Leela is of the God of Mercury. The person prayed to the God of Buddha and apologized for his mistake, then Budh Dev ji became impatient. He came home with his wife and both the husband and wife started fasting on Wednesday, the person who read this story and Hears He does not feel any friend to travel on Wednesday, he gets all kinds of happiness.
Say Shree Buddha God, Glory to God