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मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी: रोटी क्या है!!

एक बार मुल्ला नसरुद्दीन पर मुकदमा चला कि वह राज्य के लिए खतरा बन सकते हैं। उन पर आरोप था कि वह राज्य में घूम-घूमकर धर्मगुरुओं, प्रशासनिक अधिकारियों, नेताओं और दार्शनिकों के बारे में अफवाह फैला रहे हैं कि इनमें ज्ञान की कमी है और ये सभी अज्ञानी हैं। मुकदमे की कार्रवाई के लिए मुल्ला नसरुद्दीन को दरबार में बुलाया गया।

जब दरबार में मुल्ला नसरुद्दीन पहुंचा, तो राजा ने उनसे कहा, “तुम अपनी बात दरबार में मौजूद सभी के सामने रखो।” मुल्ला ने राजा से कहा, “आप कुछ कागज और कलम मंगवा लीजिए।” राजा ने कागज और कलम मंगवा लिए। मुल्ला ने राजा से कहा, “यहां बैठे बुद्धिमान व्यक्तियों में से सात को ये कागज दे दें।” राजा ने वैसा ही किया। फिर मुल्ला ने उनसे एक सवाल पूछा और उत्तर कागज पर लिखने को कहा।

सातों के लिए मुल्ला का सवाल था कि “रोटी क्या है?”

थोड़ी देर में सभी ने अपना जवाब कागज पर लिख दिया। फिर एक-एक कर सभी ने अपना जवाब राजा और दरबार में उपस्थित सभी के सामने पढ़कर सुनाया।

पहले व्यक्ति ने अपने उत्तर में लिखा – रोटी एक तरह का खाना है।

दूसरे व्यक्ति ने लिखा – रोटी, आटे और पानी का मिश्रण है।

तीसरे ने जवाब में लिखा – यह भगवान का वरदान है।

चौथे ने अपने उत्तर में लिखा – रोटी पका हुआ आटे का लौंदा है।

पांचवे ने जवाब में लिखा – इसका जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि रोटी से आपका अभिप्राय क्या है।

छठवें ने जवाब में लिखा – रोटी पौष्टिक तत्व से समृद्ध आहार है।

आखिर में सातवें ने लिखा – रोटी के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।

सभी के जवाब के बाद मुल्ला ने दरबार में कहा, “अगर रोटी को लेकर इतने ज्ञानी और गुणी लोगों का मत एक समान नहीं है, तो ये किसी विषय पर निर्णय देने के लिए एकमत कैसे हो सकते हैं? ये सभी लोग मिलकर यह निर्णय कैसे ले सकते हैं कि मैं लोगों को गलत बातें बता रहा हूं।”

फिर मुल्ला ने राजा से कहा, “क्या आप महत्वपूर्ण विषयों पर परामर्श और निर्णय देने का अधिकार ऐसे लोगों को दे सकते हैं, जो रोज रोटी खाते हैं, लेकिन इसे लेकर एकमत नहीं हैं।” मुल्ला नसरुद्दीन ने आगे कहा, “जो लोग किसी विषय पर एकमत नहीं हो सकते हैं, वो कैसे कह सकते हैं कि मैं लोगों को भ्रष्ट करता हूं।”

कहानी से सीख

इस कहानी से यह सीख मिलती है कि किस विषय पर अपना मत रखने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है।

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