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जब एक परोपकारी संत सेरोपियो ने दी धर्म की सीख

जब एक परोपकारी संत सेरोपियो ने दी धर्म की सीख
जब एक परोपकारी संत सेरोपियो ने दी धर्म की सीख

संत सेरोपियो मिस्र देश के निवासी थे। वह बड़े ही परोपकारी थे। दूसरों की सेवा करना, उन्हें सुकून देता था। संत हमेशा ही मोटे कपड़े का चोंगा पहनते थे। एक दिन उनके चोगे को फटा देखकर एक व्यक्ति ने उनसे कहा, ‘आपका चोगा तो फट गया है। उसके बदले नया चोगा क्यों नहीं पहनते।’

तब संत ने कहा, ‘भाई बात यह है कि मैं यह मानता हूं कि एक इंसान को दूसरे इंसान की मदद करनी चाहिए। इसके लिए उसे अपने शरीर का बिल्कुल ख्याल नहीं करना करना चाहिए। यही धर्म की सीख है और आदेश भी।’

उस व्यक्ति ने हैरान होकर पूछा, ‘धर्म की सीख?’ जरा वह ग्रंथ तो दिखाएं, जिसमें ऐसा आदेश और सीख दी हुई है। संत सेरोपियो ने कहा, ‘ग्रंथ मेरे पास नहीं है, उसे मैनें बेच दिया।’ उस व्यक्ति को हंसी आ गई। वह बोला, क्या पवित्र ग्रंथ भी कहीं बेचा जाता है?

संत ने कहा, ‘बेशक बेचा जाता है, जो ग्रंथ दूसरों की सेवा करने के लिए अपनी चीजों को बेचने का उपदेश देता है, उसे बेचने में कोई हर्ज नहीं। इस ग्रंथ को बेचने पर जो रकम मिली थी, उससे मैनें जरूरतमंदों की जरूरतें पूरीं कीं। इसमें कोई शक नहीं वह ग्रंथ जिसके पास भी होगा, उसके सद्गुणों का विकास होगा और वह सेवाव्रती और परोपकारी बनेगा।’

Hindi to English

Saint Cerroopio was a resident of the country of Egypt. He was a great philanthropist. Serving others, giving them comfort Saint always used to wear chonga of thick cloth. One day seeing one of his chew cracked, a person said to him, ‘Your skin is torn. Why do not you wear a new scallop instead. ‘

Then the saint said, ‘Brother is the thing that I believe that a person should help another person. For this, he should not take care of his body at all. This is the religion and the order is also. ‘

The man wondered, ‘Learning the religion?’ Just show that scripture in which such order and learning has been given. Saint Cerroopio said, ‘I do not have the script, I sold him.’ That person got laugh He said, Is holy scripture also sold somewhere?

The saint said, ‘Of course, the scripture that preaches to sell their things to serve others, there is no harm in selling it. From the amount of money sold on this book, I met the needs of the needy. There is no doubt that whoever will have this book, his virtues will develop and he will become a vigilant and philanthropist. ‘

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