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जब विद्यार्थी की निर्भीकता के कायल हुए दादाजी

बहुत समय पहले बिले नामक एक विद्यार्थी था। उसकी खासियत थी कि वह खेलने के समय दिल लगाकर खेलता और पढ़ने के समय एकाग्रचित्त होकर पढ़ता। बिले साहसी था, अपने इसी गुण के कारण वह वृक्षों पर चढ़ जाता। यह सब कुछ देखकर उसके दादाजी को भय लगता।

कहीं बिले उन वृक्षों से गिर न जाए। बिले का दादाजी मना करते लेकिन वह सुनकर, मन ही मन हंसता रहता। एक बार बिले के साथियों ने बताया कि उस वृक्ष पर नहीं चढ़ना। तुम्हारे दादाजी कह रहे थे वहां एक दानव रहता है।

बिले ने बात नहीं मानी और वह पेड़ पर चढ़ गया और उसने अपने दोस्तों से कहा, ‘कहां है दानव मैं उससे एक बार मिलना चाहूंगा।’ बिले की निर्भीकता देखकर उनके दादाजी काफी प्रभावित हुए और यही बालक बिले आगे चलकर स्वामी विवेकानंद के नाम से विश्व में विख्यात हुआ।

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A long time ago, there was a student named Bill. His specialty was that he played with heart while playing and studied concentratedly while reading. Bile was brave, because of his own merit, he would climb up trees. Seeing all this, her grandfather is afraid.

Either bills do not fall from those trees Billy’s grandfather refused, but he would laugh, listening to him. Once the bills were told that they did not climb on that tree. Your grandfather was saying there was a demon there.

Bille did not listen, and he climbed the tree and told his friends, ‘Where is the demon, I would like to meet him once.’ His grandfather was very impressed by seeing the fear of Billy and the same child bills later became famous in the world by the name of Swami Vivekananda.

 

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