नेपोलियन बोनापार्ट कहीं जा रहा था। रास्ते में उसकी नजर एक दृश्य पर पड़ी। वह रुक गया। उसने देखा कई कुली मिलकर भारी खंभों को उठाने का प्रयास कर रहे हैं। पास में ही खड़ा एक व्यक्ति उन्हें तरह- तरह के निर्देश दे रहा है।
नेपोलियन ने उस आदमी के करीब जाकर कहा, ‘भला आप क्यों नहीं इन बेचरों की मदद करते ?’
उस व्यक्ति ने गुस्से में कहा, ‘तुझे मालूम हैं, मैं कौन हूं?’
नेपोलियन ने विनम्रता से कहा, ‘नहीं भाई में तो अजनबी हूं। मै क्या जानूं कि आप कौन हैं?’
वह व्यक्ति बोला, ‘में ठेकेदार हूं।’ नेपोलियन बिना कुछ कहे मजदूरों का हाथ बंटाने लगा। जब नेपोलियन जाने लगा तो ठेकेदार ने पूछा कि, ‘आप कौन हैं ?’
नेपोलियन ने अपना परिचय देते हुए कहा, ‘ठेकेदार साहब में नेपोलियन बोनापार्ट हूं।’ यह सुनकर ठेकेदार चौंक गया। उसने अपनी असभ्यता के लिए माफी मांगी।
संक्षेप में
किसी भी काम को अपने ओहदे से नहीं देखना चाहिए और न ही किसी काम को छोटा समझना चाहिए।
Hindi to English
Napoleon Bonaparte was going somewhere. On the way, his eyes fell on a scene. he stayed. He saw many coups together trying to lift heavy pillars. A person standing nearby is giving them kind directions.
Napoleon came closer to the man and said, ‘Why do not you help these poor people?’
The person said in anger, ‘You know, who am I?’
Napoleon politely said, ‘No, I’m a stranger in a brother. What do I know who are you? ‘
The person said, ‘I am a contractor.’ Napoleon started to hand the workers without saying something. When Napoleon came, the contractor asked, ‘Who are you?’
Napoleon introduced himself, saying, “I am Napoleon Bonaparte in the contractor.” The contractor was shocked to hear this. He apologized for his ineptness.
in short
No work should be seen from its position nor any work should be considered as small.