एक बार मगध के सम्राट बिम्बिसार संत सत्यकेतु के आश्रम में पहुंचे और दण्डवत होकर निवेदन किया कि भगवन इस विश्व में श्रेष्ठ और महान व्यक्ति कौन है?सत्यकेतु ने सामने खेत में काम कर रही एक अधिक उम्र की वृद्धा की ओर संकेत करते हुए कहा- ‘उधर देखिए, उस वृद्धा के शरीर में शक्ति नहीं है, लेकिन कुदाली चला रही है। जानते हो क्यों?तब सम्राट ने पूछा- क्यों? सत्यकेतु ने समझाया 100 वर्ष की अशक्त वृद्धा कुंआ अपने लिए नहीं खोद रही है। आप अपने लिए जीते हैं। मैं दूसरों के लिए जीता हूं। लेकिन यह वृद्धा मानव जाति के लिए जीना चाहती है।
कुंआ खोदकर यह आते-जाते राहगीरों को पानी पिलाएगी। इसमें शक्ति नहीं है और ना ही इसे कुएं की आवश्यकता है। फिर भी लोक कल्याण की भावना इसमें कितनी है आैर यह भविष्य की सोच रखने वाली है। इसलिए कहता हूं कि वह विश्व की महानतम प्राणी है।
In English
Once, the emperor of Magadha reached the ashram of Bimbisar Saint Satyakate and pleaded with prayer that God is the best and the greatest person in this world.
Satyaketu, pointing to an old age working in front of the farm, said, ‘Look here, there is no power in the body of the old man, but he is running a hawk. Do you know why?
Then the emperor asked – why? Satkeetu explained that the poor old age of 100 years is not digging for himself. You live for yourself. I have won for others. But this old man wants to live for mankind.By digging well, it will give water to the passers-by-passes. There is no power in it and neither does it need well. Yet the sense of public welfare is in it and it is about future thinking. So I say that he is the greatest creature in the world.
Check Also
हनुमान जी की सेवा और बलिदान की कहानी
करीब 95 साल पहले की बात है । राजस्थान के अलवर इलाके में एक गडरिया भेड़ चराते हुए जंगल में चला गया । अचानक किसी ने उसे कहा कि........