बेटा अब खुद कमाने वाला हो गया था …इसलिए बात-बात पर अपनी माँ से झगड़ पड़ता था …. ये वही माँ थी जो बेटे के लिए पति से भी लड़ जाती थी।मगर अब फाइनेसिअली इंडिपेंडेंट बेटा पिता के कई बार समझाने पर भी इग्नोर कर देता और कहता, “यही तो उम्र है शौक की, खाने पहनने की, जब आपकी तरह मुँह में दाँत और पेट में आंत ही नहीं रहेगी तो क्या करूँगा।”
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बहू खुशबू भी भरे पूरे परिवार से आई थी, इसलिए बेटे की गृहस्थी की खुशबू में रम गई थी। बेटे की नौकरी अच्छी थी तो फ्रेंड सर्किल उसी हिसाब से मॉडर्न थी । बहू को अक्सर वह पुराने स्टाइल के कपड़े छोड़ कर मॉडर्न बनने को कहता, मगर बहू मना कर देती …..वो कहता “कमाल करती हो तुम, आजकल सारा ज़माना ऐसा करता है, मैं क्या कुछ नया कर रहा हूँ। तुम्हारे सुख के लिए सब कर रहा हूँ और तुम हो कि उन्हीं पुराने विचारों में अटकी हो। क्वालिटी लाइफ क्या होती है तुम्हें मालूम ही नहीं।”
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और बहू कहती “क्वालिटी लाइफ क्या होती है, ये मुझे जानना भी नहीं है, क्योकि लाइफ की क्वालिटी क्या हो, मैं इस बात में विश्वास रखती हूँ।”
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आज अचानक पापा आई. सी. यू. में एडमिट हुए थे। हार्ट अटेक आया था। डॉक्टर ने पर्चा पकड़ाया, तीन लाख और जमा करने थे। डेढ़ लाख का बिल तो पहले ही भर दिया था मगर अब ये तीन लाख भारी लग रहे थे। वह बाहर बैठा हुआ सोच रहा था कि अब क्या करे….. उसने कई दोस्तों को फ़ोन लगाया कि उसे मदद की जरुरत है, मगर किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ बहाना कर दिया। आँखों में आँसू थे और वह उदास था।…..तभी खुशबू खाने का टिफिन लेकर आई और बोली, “अपना ख्याल रखना भी जरुरी है। ऐसे उदास होने से क्या होगा? हिम्मत से काम लो, बाबू जी को कुछ नहीं होगा आप चिन्ता मत करो । कुछ खा लो फिर पैसों का इंतजाम भी तो करना है आपको।…. मैं यहाँ बाबूजी के पास रूकती हूँ आप खाना खाकर पैसों का इंतजाम कीजिये। “…….पति की आँखों से टप-टप आँसू झरने लगे।
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“कहा न आप चिन्ता मत कीजिये। जिन दोस्तों के साथ आप मॉडर्न पार्टियां करते हैं आप उनको फ़ोन कीजिये , देखिए तो सही, कौन कौन मदद को आता हैं।”……पति खामोश और सूनी निगाहों से जमीन की तरफ़ देख रहा था। कि खुशबू का का हाथ उसकी पीठ पर आ गया। और वह पीठ को सहलाने लगी।
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“सबने मना कर दिया। सबने कोई न कोई बहाना बना दिया खुशबू ।आज पता चला कि ऐसी दोस्ती तब तक की है जब तक जेब में पैसा है। किसी ने भी हाँ नहीं कहा जबकि उनकी पार्टियों पर मैंने लाखों उड़ा दिये।”
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“इसी दिन के लिए बचाने को तो माँ-बाबा कहते थे। खैर, कोई बात नहीं, आप चिंता न करो, हो जाएगा सब ठीक। कितना जमा कराना है?”
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“अभी तो तनख्वाह मिलने में भी समय है, आखिर चिन्ता कैसे न करूँ खुशबू ?”
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“तुम्हारी ख्वाहिशों को मैंने सम्हाल रखा है।”
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“क्या मतलब?”
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“तुम जो नई नई तरह के कपड़ो और दूसरी चीजों के लिए मुझे पैसे देते थे वो सब मैंने सम्हाल रखे हैं। माँ जी ने फ़ोन पर बताया था, तीन लाख जमा करने हैं। मेरे पास दो लाख थे। बाकी मैंने अपने भैया से मंगवा लिए हैं। टिफिन में सिर्फ़ एक ही डिब्बे में खाना है बाकी में पैसे हैं।” खुशबू ने थैला टिफिन सहित उसके हाथों में थमा दिया।
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“खुशबू ! तुम सचमुच अर्धांगिनी हो, मैं तुम्हें मॉडर्न बनाना चाहता था, हवा में उड़ रहा था। मगर तुमने अपने संस्कार नहीं छोड़े…. आज वही काम आए हैं। ”
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सामने बैठी माँ के आँखो में आंसू थे उसे आज खुद के नहीं बल्कि पराई माँ के संस्कारो पर नाज था और वो बहु के सर पर हाथ फेरती हुई ऊपरवाले का शुक्रिया अदा कर रही थी।
{दोस्तो स्टोरी कैसी लगी… ?}
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English Translation
The son had now become a earner himself … so he used to fight with his mother over talk …. It was the same mother who used to fight for her son as well as her husband. But now financially independent son of father many times Even after explaining, Ignore and said, “This is the age of hobby, to wear food, what will you do when you have no teeth in your mouth and intestines in your stomach.”
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The daughter-in-law also came from the whole family, so the scent of the son’s family was smeared. If the son’s job was good, then the circle of friends was modern according to that. He would often ask the daughter-in-law to leave her old style clothes, but the daughter-in-law would refuse ….. She would say “You do wonders, nowadays the whole world does this, what am I doing something new. Your happiness I am doing everything for you and you are stuck in the same old thoughts. You do not know what is quality life. ”
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And the daughter-in-law would say, “I don’t even know what a quality life is, because I believe in what the quality of life is.”
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Suddenly, Papa I.C.U. Was admitted in Heart attack came. The doctor took the form, three lakh more had to be deposited. The bill of one and a half lakhs had already been filled, but now these three lakhs seemed heavy. He was sitting outside, wondering what to do now…. He called many friends that he needed help, but some one made some excuse. There were tears in his eyes and he was depressed… .. Then the fragrance brought a tiffin of food and said, “It is important to take care of yourself. What will happen if you feel sad? Work with courage, nothing will happen to Babuji. Don’t worry. Eat something, then you have to arrange for money too. I stop here with Babuji, you should eat and arrange money. “……. dripping from husband’s eyes -Top tears started springing up.
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“Don’t worry, you said. You call the friends with whom you have modern parties, see who is right, who comes to help.” …… husband silently and staring at the ground towards the ground Had been. That Khushboo’s hand came on her back. And she started caressing the back.
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“Everyone refused. Everyone made some excuse. Fragrance. I came to know that such a friendship lasts as long as there is money in the pocket. No one said yes while I threw millions on their parties.”
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“Mother and Baba used to say to save for this day. Well, never mind, you don’t worry, it will be all right. How much to deposit?”
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“There is still time to get salary, how should I not worry about fragrance?”
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“I have kept your wishes.”
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“What do you mean?”
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“I have kept everything that you used to give me for new types of clothes and other things. Mother had told me on phone, I have to deposit three lakhs. I had two lakhs. The rest I ordered from my brother Tiffin. Only one box has food in the rest. There is money in the rest. ” Khushboo placed the bag in her hands along with Tiffin.
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“Khushboo! You are truly an ardhangini, I wanted to make you modern, blowing in the wind. But you did not give up your rites…. The same things have come today.”
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There were tears in the eyes of the mother sitting in front of her, she was not proud of herself, but was proud of the rituals of the foreign mother, and she was thanking the upper one with folding her hands on the head of the daughter-in-law.
{Friends, how was the story …?}
(How was this incident? Tell me by commenting