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बल से अधिक बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए

एक जंगल के एक विशाल पेड़ पर एक कौवा अपनी पत्नी सहित रहता था। उस पेड़ पर हर प्रकार की सुख सुविधा थी। केवल एक ही कष्ट था कि उस पेड़ के एक खोखले भाग में एक भयंकर काला सर्प भी रहता था। जब कौवे की पत्नी अंडे देती तो वह उन्हें खा जाता था।

इससे दोनों बहुत दुखी रहते थे। एक दिन वे अपने मित्र सियार के यहां मिलने गए। बातों बातों में उन्होंने सियार को अपनी कहानी बताई। उनकी दुखभरी दास्तान सुनकर सियार भी बहुत दुखी हुआ। उसने कहा, “देखो भाई! ताकत के बल पर हम उस सर्प से नहीं जीत सकते। लेकिन बुद्धि और युक्ति से उसे हराया जा सकता है।” यह सुनकर कौवे को उम्मीद जगी। उसने कहा, “भाई! कोई उपाय बताओ जिससे हमारा दुख दूर हो जाये।”

थोड़ी देर सोचने के बाद सियार बोला, “तुम्हे एक काम करना होगा। तुम राजधानी जाओ और राजमहल में राजा या रानियों में से किसी का हार चुराकर पहरेदारों को दिखाते हुए उस सांप के कोटर में डाल दो। बाकी काम राजा के पहरेदार कर लेंगे।”

यह सुनकर दोनों पति पत्नी राजधानी की ओर उड़ चले। वहां राजमहल में रानियां शाही तालाब में जलक्रीड़ा कर रही थीं। उनके आभूषण किनारे पर रखे थे। पहरेदार उनकी सुरक्षा कर रहे थे।

मौका देखकर कौवे की पत्नी ने झपट्टा मारकर रानी का हार उठाया और जंगल की ओर उड़ चली। पहरेदार शोर मचाते हुए उसके पीछे भागे। जंगल में पहुंचकर उसने हार सांप के कोटर में डाल दिया। पीछे आ रहे पहरेदारों ने उसे कोटर में हार डालते हुए देख लिया। जब वे हार निकालने पहुंचे तो देखा कि एक सांप फन उठाये हुए खड़ा है। पहरेदारों ने उसे मार डाला और रानी का हार निकाल लिया।

इस प्रकार बुद्धि के प्रयोग से काकदम्पति वर्षों से चली आ रही समस्या से मुक्त हो गए।

सीख :यह कहानी हमें सिखाती है कि बल से अधिक बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए। बुद्धि के प्रयोग से बड़े बड़े बलवानों को भी पछाड़ा जा सकता है।

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