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बिना पूंछ की लोमड़ी

बहुत समय पहले जंगल में एक लोमड़ी रहा करती थी। वह शिकार की तलाश में यहां-वहां भटक रही थी कि तभी अचानक उसने एक आवाज सुनाई दी और फिर उसे अपनी पूछ कर दर्द महसूस हुआ। दर्द के चलते वह चीखती चिल्लाती रही, “हे भगवान यह क्या हुआ? इतना दर्द क्यों हो रहा है तुझे?” यह कहते हुए जब वह पीछे मुड़कर देखी तो उसका पूछ एक फंदे पर फंसा हुआ था जिसे किसी शिकारी ने लगाया था।

पूछ फंदे में फंसने की वजह से उसे बहुत दर्द हो रहा था। अब वह खुद को फंदे से अलग करना चाहती थी। उसके लिए वह जोर लगाकर अपनी पूंछ को खींचने लगी। उसने बहुत कोशिश की और अंत में जाकर वह फंदे से अलग हो गई। ऐसे में जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसकी पूंछ टूट चुकी थी। उसके पास बस छोटी सी पूछ बची थी और पूछ का ज्यादातर हिस्सा फंदे में फंसा हुआ था।

यह देखकर वह रोने लगी। वह सोच रही थी कि लोमड़ी अब अपने बाकी साथियों से कैसे मिलेगी? बिना पूछ के तो लोग उसका मजाक उड़ाएंगे जिससे कि उसे शर्मिंदगी महसूस होगी। यह सोचते-सोचते वह रोने लगी। कुछ देर बाद वह यह सोचने लगी कि शर्मिंदगी से कैसे बचा जाए? तभी उसके दिमाग में एक ख्याल आया और वह सीधे अपने साथियों के पास चली गई।

उसने अपने सभी साथियों को इकट्ठा किया और फिर उनसे बोली, “मेरी बहनो देखो मैंने अपनी पूछ काट दी है। ऐसा मैंने इसलिए किया है क्योंकि पूछ रखने का कोई फायदा ही नहीं था। जब हम शिकार पर जाते हैं तो यह पूछा बीच में आ जाता है। जब कुत्ते हमें पकड़ने के लिए हमारा पीछा करते हैं तब वे पूछ के सहारे हमें पकड़ सकते हैं। यह पूछ हमारे किसी काम का नहीं है इसीलिए मैं आप सबसे कहना चाहती हूं कि आप सब भी मेरी तरह अपना पूछ काट दे और इससे छुटकारा पा ले। ऐसा करने से आपको बहुत सारा फायदा होगा।”

लोमड़ी अपने बातों से अपने साथियों को बेवकुफ बनाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन तभी एक लोमड़ी बोली, “हम अच्छे से जानते हैं कि तुमने हमें यहां इसका फायदा बताने के लिए नहीं बुलाया है। तुम्हें इस बात की शर्मिंदगी हो रही है कि तुमने अपना पूछ काट लिया है। और इसीलिए तुम चाहती हो कि हम सब भी यही करें। हम तुम्हारी तरह बेवकूफ नहीं है जाओ यहां से और बिना पूछ कर जिंदगी जियो।”

यह कहकर सारी लोमड़ी वहां से चली गई और वह लोमड़ी शर्मिंदगी के साथ जीने लगी।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हम लोगों को हमेशा बेवकूफ नहीं बना सकते। इस कहानी में लोमड़ी अपने अन्य साथियों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वैसा नहीं हुआ।

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