वीणा बजाते हुए नारदमुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे।
नारायण नारायण !!
नारदजी ने देखा कि द्वार पर हनुमान जी पहरा दे रहे है।फ
🔹हनुमान जी ने पूछा: नारद मुनि ! कहाँ जा रहे हो ?
🔻नारदजी बोले: मैं प्रभु से मिलने आया हूँ। नारदजी ने हनुमानजी से पूछा प्रभु इस समय क्या कर रहे है?
🔹हनुमानजी बोले: पता नहीं पर कुछ बही खाते का काम कर रहे है ,प्रभु बही खाते में कुछ लिख रहे है।
🔻नारदजी: अच्छा क्या लिखा पढ़ी कर रहे है ?
🔹हनुमानजी बोले: मुझे पता नही , मुनिवर आप खुद ही देख आना।
🔻नारद मुनि गए प्रभु के पास और देखा कि प्रभु कुछ लिख रहे है।
🔻नारद जी बोले: प्रभु आप बही खाते का काम कर रहे है ? ये काम तो किसी मुनीम को दे दीजिए।
🔸प्रभु बोले: नही नारद , मेरा काम मुझे ही करना पड़ता है। ये काम मैं किसी और को नही सौंप सकता।
🔻नारद जी: अच्छा प्रभु ऐसा क्या काम है ?ऐसा आप इस बही खाते में क्या लिख रहे हो?
🔸प्रभु बोले: तुम क्या करोगे देखकर , जाने दो।
🔻नारद जी बोले: नही प्रभु बताईये ऐसा आप इस बही खाते में क्या लिखते है?
🔸प्रभु बोले: नारद इस बही खाते में उन भक्तों के नाम है जो मुझे हर पल भजते हैं। मैं उनकी नित्य हाजरी लगाता हूँ ।
🔻नारद जी: अच्छा प्रभु जरा बताईये तो मेरा नाम कहाँ पर है ? नारदमुनि ने बही खाते को खोल कर देखा तो उनका नाम सबसे ऊपर था। नारद जी को गर्व हो गया कि देखो मुझे मेरे प्रभु सबसे ज्यादा भक्त मानते है। पर नारद जी ने देखा कि हनुमान जी का नाम उस बही खाते में कहीं नही है? नारद जी सोचने लगे कि हनुमान जी तो प्रभु श्रीराम जी के खास भक्त है फिर उनका नाम, इस बही खाते में क्यों नही है? क्या प्रभु उनको भूल गए है?
🔻नारद मुनि आये हनुमान जी के पास बोले: हनुमान ! प्रभु के बही खाते में उन सब भक्तो के नाम है जो नित्य प्रभु को भजते है पर आप का नाम उस में कहीं नही है?
🔹हनुमानजी ने कहा कि: मुनिवर,! होगा, आप ने शायद ठीक से नही देखा होगा?
🔻नारदजी बोले: नहीं नहीं मैंने ध्यान से देखा पर आप का नाम कहीं नही था।
🔹हनुमानजी ने कहा: अच्छा कोई बात नही। शायद प्रभु ने मुझे इस लायक नही समझा होगा जो मेरा नाम उस बही खाते में लिखा जाये। पर नारद जी प्रभु एक डायरी भी रखते है उस में भी वे नित्य कुछ लिखते है।
🔻नारदजी बोले:अच्छा ?
🔹हनुमानजी ने कहा:हाँ !
🔻नारदमुनि फिर गये प्रभु श्रीराम के पास और बोले प्रभु ! सुना है कि आप अपनी डायरी भी रखते है ! उसमे आप क्या लिखते है ?
🔸प्रभु श्रीराम बोले: हाँ! पर वो तुम्हारे काम की नही है।
🔻नारदजी: ”प्रभु ! बताईये ना , मैं देखना चाहता हूँ कि आप उसमे क्या लिखते है।
🔸प्रभु मुस्कुराये और बोले मुनिवर मैं इन में उन भक्तों के नाम लिखता हूँ जिन को मैं नित्य भजता हूँ।
🔻नारदजी ने डायरी खोल कर देखा तो उसमे सबसे ऊपर हनुमान जी का नाम था। ये देख कर नारदजी का अभिमान टूट गया।
✳कहने का तात्पर्य यह है कि जो भगवान को सिर्फ जीव्हा से भजते है उनको प्रभु अपना भक्त मानते हैं ।
और जो हृदय से भजते है ,ऐसे भक्तो को प्रभु अपनी हृदय रूपी डायरी में रखते हैं…!!!
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