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चतुर बिल्ली !!

एक समय की बात है। एक जंगल में एक लोमड़ी शिकार की खोज में भटक रही थी। अचानक उसकी मुलाकात एक जंगली बिल्ली से हुई।

दोनों ने एक दूसरे का अभिवादन किया और फिर आपस में बातचीत करने लगीं।   बातों-बातों में लोमडी बोली, “मुझे तो शिकारी कुत्तों से बहुत नफरत है।” “मुझे भी।”

बिल्ली ने सहमति जताते हुए कहा। लोमड़ी शेखी बघारते हुए बोली, “वैसे तो शिकारी कुत्ते बहुत तेज़ दौड़ते हैं पर फिर भी मुझे नहीं पकड़ पाते हैं।  

मेरे पास उनसे बचने की कई तरकीबें हैं।” बिल्ली ने पूछा, “अच्छा, वो क्या तरकीबें हैं?” इस पर लोमड़ी ने इतराते हुए जवाब दिया, “कौन-कौन-सी बताऊँ, बहुत सारी तरकीबें हैं।

उनमें से कुछ हैं, जैसे-काँटों की झाड़ी में छुप जाना,   बिल में घुस जाना, इत्यादि।” बिल्ली बोली, “मैं तो केवल एक ही ठोस तरकीब जानती हूँ।”

लोमड़ी ने बिल्ली का मजाक उड़ाते हुए कहा, “कितने दुख की बात है कि तुम केवल एक तरकीब जानती हो।   मुझे तो आश्चर्य है कि केवल एक तरकीब से तुम भला किस तरह अपना बचाव कर पाती हो।

जंगल में कदम-कदम पर हमें हिंसक जानवरों का सामना करना पड़ता है।   इसलिए यदि तुम चाहती हो कि तुम्हारा जीवन सुरक्षित रहे तो तुम्हें कुछ और भी उपाय जानने आवश्यक हैं। अन्यथा तुम कभी भी किसी बड़ी मुसीबत में फंस सकती हो।” यह बात सुनकर बिल्ली थोड़ा क्रोधित स्वर में बोली,  

“मैं तुमसे एक बार कह चुकी हूँ कि मुझे ‘ और उपाय जानने में दिलचस्पी नहीं है। मैं अपना बचाव स्वयं कर सकती हूँ और अब तक करती आई हूँ।”

लोमड़ी ने व्यंग्य कसते हुए पूछा, “अच्छा! क्या मैं जान सकती हूं कि वह तरकीब क्या है?”   बिल्ली बोली, “वह तो मैं तम्हें अभी बता देती हूँ परन्तु पहले जरा नजर घुमाकर पीछे तो देखो। ऐसा लगता है कि शिकारी कुत्तों का झुण्ड हमारी ओर ही आ रहा है।”

  ऐसा कहते ही बिल्ली दौडकर एक पेड़ पर चढ़ गई और एक ऊँची-सी डाल पर जा बैठी। उसे अपनी अक्लमंदी पर घमंड करने वाली लोमड़ी पर दया आ रही थी क्योंकि उसका अंत पीछे खड़ा था।  

कुत्तों को देखकर लोमड़ी बहुत घबरा गई और वह कंटीली झाड़ियों में छुपने के लिए दौड़ी। लेकिन शिकारी कुत्तों ने उस का पीछा करके उसे पकड़ लिया और उसको मार डाला।

शिक्षाः विपत्ति से हमेशा चौकस रहना चाहिए।  

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