ये कहानी है अकबर और बीरबल की एक बार जहाँ पनाह ने बीरबल से कहा बीरबल बताओ अविद्या क्या है बीरबल ने कहा महाराज इस सवाल का जवाब देने के लिए मुझे चार दिन की छुटियाँ चाहिए ।
तो अकबर ने पूछा की छुटिया क्यों चाहिए तो बीरबल ने कहा महाराज मैं परेशान हो गया हु । आपके सवाल का जवाब देते देते दिमाग थक गया है दिमाग को थोड़ा आराम चाहिए चार दिन के बाद जब वापस आऊंगा तो पके से बताऊंगा की अविदया क्या है अकबर ने कहा जैसे तुम्हें मंजूर है। बीरबल को चार दिन की छुटिया मिल गई वो घर गया घर जाने के बाद सीधा मोची के पास गया और मोची के पास जा कर के बोला एक ऐसी शानदार जूतियां बनाओ जिसे जो देखे देखता रह जाए तो मोची ने बोला कैसी बनानी है ।
थोड़ी नाप वाप बताओ तो बीरबल ने बोला नाप वाप कुछ नहीं एक बीती चोरी बना दो, दो बीती लम्बी बना दो आराम से शानदार वाली बना दो तुम्हे जितना वक्त लेना है ले लो लेकिन उनमे हिरे जैवरात जरने है और सोने चांदी से सिलाई करनी है । ऐसी जुतिया बनानी है जिसे देखने के बाद लोगो के मुँह से बस वाह निकले तो मोची कहा जनाब बनवा किसके लिए रहे हो तो बिलबाल ने कहा ज्यादा सवाल जवाब मत कर और बनाने के बाद तुम भूल जाना की तुमने बनाई है यही शर्त है।
मोची ने कहा मंजूर है तीन दिन के बाद में मोची ने जुतिया बनादि बीरबल गए और पैसे दे दिए , और बोल दिया की किसी से बोलना नहीं की तुमने बनाई है। फिर बीरबल ने क्या किया की एक जूते को अपने घर में जा के रख दी और दूसरी जो जूती थी उस जोड़े की उसको ले जा कर के मस्जिद में फेंक दिया।
सुबह सुबह मौलवी साहब वाला पहुंचे नवाज़ पढ़ने के लिए वहा उन्हें वो जूती दिखाई दी हिरे जैवरात जरे हुए थे सोने चांदी की तारो से सिलाई की हुई थी। मौलवी साहब को लगा ये किसे आम इंसान की जूती तो हो ही नहीं सकती उन्हें लगा की जरूर ऊपर वाले आए होंगे निचे नवाज पढ़ने के लिए और उनकी जूती यहाँ छूट गयी होगी। मौलवी साहब ने उसे उठाया अपने आँखों से लगाया माथे से चूमा सर पर लगाया उसके बाद वहा पे जितने लोग नवाज़ पढ़ने के लिए आ रहे थे उन सबको बताया की देखो भाइये ये जो जूती छूट गयी है ।
मुझे तो लगता है की किसी आम आदमी की नहीं है ऊपर वाले की है लोगो ने बोला बिलकुल सही बोल रहे है जनाब बिलकुल ऊपर वाले की है हर किसी ने वही किया सबने चूमा माथे पर रख लिया उसके बाद ये बात जंगल में आग की तरह पुरे राज्य में फ़ैल गयी अकबर तक बात पहुंची जहा पनाह अकबर ने बोला की उस जूती को हमें ला कर दिखाई जाए । जूती ले जाई गयी तो अकबर ने देखा तो बोला बिलकुल सही बोल रहे हो ये किसे आप इंसान की तो हो ही नहीं सकती ये जरूर ऊपर वाले की है। ऊपर वाला निचे आया होगा नवाज पढ़ी होगी और जूती छूट गयी होगी उन्होंने भी वही किया माथे से लगा लिया आखो से चुम लिया सर पर रख लिए उसके बाद अकबर ने कहा ये बहुत ही नायाब जूती है इसको ले जा कर के अच्छे से स्थान पे रखदो और पूजा करो। इसकी पूजा होनी चाहिए अच्छे से ध्यान रखना है यही ।
आपको करना है अकबर का आदेश माना गया। इधर चार दिन की छुटिया बीरबल की ख़त्म हो गयी बीरबल वापस आया उसका चेहरा उतरा हुआ था मुँह उदाश था अकबर ने पूछा क्या हुआ तुम तो ऐसे लग रहे हो जैसे की घर किसी की मौत हो गई हो तो बीरबल ने कहा क्या बताऊं जहा पनाह हमारे पर दादा की जूतियां थी चोर आएं एक जूती ले गए एक जूती छोर गए अब हम परेशान चल रहे है वो हमारे दिल की इतनी करीब थी की आज तक हमने उसे बेचा नहीं था ।
बस अपने घर में रखा हुआ था तो अकबर ने कहा तुम्हारे पास वो जूती है बीरबल ने कहा हा जी हा है । अभी आपको देखता हु तो बीरबल ने जूती दिखाई अकबर का माथा ठनक गया अकबर ने कहा वो जो जूती रखवाई है उसको मंगवाओ वो जूती जहा पे रखवाई गई थी उसे मंगवाई गयी जोड़ा जूतियो का बन गया बीरबल को दिया गया ।
बीरबल ने कहा महाराज यही अविद्या है न आपको कुछ पता था ना उनको कुछ पता था न जिसको मिली उसको कुछ पता था सब बस भेड़ चाल में चले जा रहे थे इसे ही अविद्या कहा गया है।