हरी एक गरीब एवं राज्य सबसे चर्चित आलसी था वह कुछ कार्य नहीं करता था। उसके आलस की चर्चा सुनकर एक दिन राजा ने उसे बुलवाकर
कहा,‘तुम पैसे कमाने के लिए कोई कार्य क्यों नहीं करते हो?”हरी बोला मुझे कोई काम ही नहीं देता और मेरे दुश्मन सोचते हैं कि मैं आलसी हु ।”
राजा बोला’ठीक है, तुम मेरे राजकोष में जाओ और आज सूर्यास्त होने से पहले जितना धन ले सकते हो, ले लो।” हरी दौड़कर अपने घर गया। उसने
अपनी पत्नी को पूरी घटना कह सुनाई। उसकी पत्नी बोली, ‘जल्दी जाओ और खूब सारी स्वर्ण मुद्राएँ एवं कीमती जवाहरात लेकर आओ।”
वह बोला, ‘मुझे भूख लगी है, इसलिए पहले मुझे भोजन दो।”
भोजन करने के बाद उसने एक झपकी ली फिर दोपहर में वह एक बड़ा सा थैला लेकर राजमहल की ओर चल पड़ा। उसे रास्ते में थकान महसूस हुई।
और वह एक पेड़ के नीचे विश्राम करने लगा।
दो घंटे बाद जब वह जगा तो फिर सीधे राजमहल जाने की बजाए एक स्थान पर जादू का खेल देखने लगा।
जब वह राजमहल पहुँचा, तब तक सूर्यास्त हो चुका था।
राजमहल के दरवाजे बंद हो चुके थे। हरी अमीर बनने का मौका गंवा चुका था, क्योंकि वह समय की कीमत नहीं जानता था इस तरह वह फिर से गरीब ही रह गया।