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Tag Archives: karam

श्रीकृष्ण – चरित्र (Krishna – Character)

khud to baahar hee khade rahe

समदर्शिता भगवान श्रीकृष्ण समदर्शी थे, और उनकी समदर्शिता की सीमा में केवल मनुष्य – समाज ही आता हो, सो बात नहीं, पशु – पक्षी, लता – वृक्ष आदि सभी के लिए उसमें स्थान था । उन्होंने गौओं की सेवा कर पशुओं में भी भगवान का वास दिखलाया । कदंब आदि वृक्षों के तले वन में विहार कर, उभ्दिज्ज – जगत …

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घबरा नहीं अब तू खड़ा मैया जी के दरबार में

ghabara nahin ab too khada maiya jee ke darabaar mein

घबरा नहीं अब तू खड़ा मैया जी के दरबार में। होंगी मुरादें पूरी बन्दे तेरी सब इक बार में। छँट जाएगी सब कालिमा, मिट जाएगा तेरा भरम, खुशियों से घर भर जाएगा, हो जाएँगे ऐसे करम। जग जाएगी किस्मत, बड़ा सुख पाएगा संसार में, होंगी मुरादें पूरी बन्दे तेरी सब इकबार में। क्यों रो रहा है पोंछ आँसू, सब्र से …

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घबरा नहीं अब तू खड़ा मैया जी के दरबार में

maiya jee ke darabaar mein

घबरा नहीं अब तू खड़ा मैया जी के दरबार में। होंगी मुरादें पूरी बन्दे तेरी सब इक बार में। छँट जाएगी सब कालिमा, मिट जाएगा तेरा भरम, खुशियों से घर भर जाएगा, हो जाएँगे ऐसे करम। जग जाएगी किस्मत, बड़ा सुख पाएगा संसार में, होंगी मुरादें पूरी बन्दे तेरी सब इकबार में। क्यों रो रहा है पोंछ आँसू, सब्र से …

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जिधर देखूं जहाँ देखूं तेरा दीदार हो जाए

apane charanon mein sthaan de de

बुत्तखाना और नसुए-हरम देख रहे हैं | साईं सनम को सारे सनम देख रहें हैं || करम इतना तो मुझ पे, साईं जी एक बार हो जाए, जिधर देखूं ,जहाँ देखूं, तेरा दीदार हो जाए | मुझे दुनिया से क्या मतलब, मुझे तुमपे भरोसा है | जिसे साईं नवाजे, उसका बेडा पार हो जाए || गदाई आप के दर की, …

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क्यों पीवे तू पानी हंसिनी

dasha mujh deen kee bhagavan sambhaaloge to kya hoga

क्यों पीवे तू पानी हंसिनी,क्यों पीवे तू पानी, सागर खीर भरा घट भीतर, पीयो सूरत तानी हंसिनी, क्यों पीवे तू पानी । जग को जार धसो नभ अंदर, मंदर परख निशानी हंसिनी, क्यों पीवे तू पानी । गुर मूरत तू धार हिये में, मन के संग क्यों फिरत निमाणी हंसिनी, क्यों पीवे तू पानी । तेरा काज करे गुर पूरे, …

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कर्मयोग

Agar shyam ksunder ka shera na hota

जन्म – जन्मांतर में किये हुए शुभाशुभ कर्मों के संस्कारों से यह जीव बंधा है तथा इस मनुष्य शरीर में पुन: अहंता, ममता, आसक्ति और कामना से नए – नए कर्म करके और अधिक जकड़ा जाता है । अत: यहां इस जीवात्मा को बार – बार नाना प्रकार की योनियों में जन्म – मृत्युरूप संसारचक्र में घुमाने के हेतुभूत जन्म …

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स्वर्ग नर्क सब इस धरती पे

Dukh Sukh Dono Do Pal Ke bhajan

नही गगन के देखो पार अच्छा करम तो सुख देवे है बुरा करम है दुख का सार स्वर्ग नर्क सब इस धरती पे नही गगन के देखो पार अच्छा करम तो सुख देवे है बुरा करम है दुख का सार जो दुख पता प्रभु से कहता क्यू प्रभु तुम दुख देते हो हमने किया नही कुच्छ एसा फिर क्यू नही …

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स्वर्ग नर्क सब इस धरती पे

Swarg Nark Sab Is Dharti Pe Bhajan

स्वर्ग नर्क है इस धरती पे, नही गगन के देखो पार अच्च्छा करम तो सुख देवे है, बुरा करम है दुख का सार (जे2) स्वर्ग नर्क है इस धरती पे, नही गगन के देखो पार अच्च्छा करम तो सुख देवे है, बुरा करम है दुख का सार (जे2) जो दुख पता प्रभु से कहता, क्यू प्रभु तुम दुख देते हो …

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