समदर्शिता भगवान श्रीकृष्ण समदर्शी थे, और उनकी समदर्शिता की सीमा में केवल मनुष्य – समाज ही आता हो, सो बात नहीं, पशु – पक्षी, लता – वृक्ष आदि सभी के लिए उसमें स्थान था । उन्होंने गौओं की सेवा कर पशुओं में भी भगवान का वास दिखलाया । कदंब आदि वृक्षों के तले वन में विहार कर, उभ्दिज्ज – जगत …
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घबरा नहीं अब तू खड़ा मैया जी के दरबार में
घबरा नहीं अब तू खड़ा मैया जी के दरबार में। होंगी मुरादें पूरी बन्दे तेरी सब इक बार में। छँट जाएगी सब कालिमा, मिट जाएगा तेरा भरम, खुशियों से घर भर जाएगा, हो जाएँगे ऐसे करम। जग जाएगी किस्मत, बड़ा सुख पाएगा संसार में, होंगी मुरादें पूरी बन्दे तेरी सब इकबार में। क्यों रो रहा है पोंछ आँसू, सब्र से …
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घबरा नहीं अब तू खड़ा मैया जी के दरबार में। होंगी मुरादें पूरी बन्दे तेरी सब इक बार में। छँट जाएगी सब कालिमा, मिट जाएगा तेरा भरम, खुशियों से घर भर जाएगा, हो जाएँगे ऐसे करम। जग जाएगी किस्मत, बड़ा सुख पाएगा संसार में, होंगी मुरादें पूरी बन्दे तेरी सब इकबार में। क्यों रो रहा है पोंछ आँसू, सब्र से …
Read More »जिधर देखूं जहाँ देखूं तेरा दीदार हो जाए
बुत्तखाना और नसुए-हरम देख रहे हैं | साईं सनम को सारे सनम देख रहें हैं || करम इतना तो मुझ पे, साईं जी एक बार हो जाए, जिधर देखूं ,जहाँ देखूं, तेरा दीदार हो जाए | मुझे दुनिया से क्या मतलब, मुझे तुमपे भरोसा है | जिसे साईं नवाजे, उसका बेडा पार हो जाए || गदाई आप के दर की, …
Read More »क्यों पीवे तू पानी हंसिनी
क्यों पीवे तू पानी हंसिनी,क्यों पीवे तू पानी, सागर खीर भरा घट भीतर, पीयो सूरत तानी हंसिनी, क्यों पीवे तू पानी । जग को जार धसो नभ अंदर, मंदर परख निशानी हंसिनी, क्यों पीवे तू पानी । गुर मूरत तू धार हिये में, मन के संग क्यों फिरत निमाणी हंसिनी, क्यों पीवे तू पानी । तेरा काज करे गुर पूरे, …
Read More »कर्मयोग
जन्म – जन्मांतर में किये हुए शुभाशुभ कर्मों के संस्कारों से यह जीव बंधा है तथा इस मनुष्य शरीर में पुन: अहंता, ममता, आसक्ति और कामना से नए – नए कर्म करके और अधिक जकड़ा जाता है । अत: यहां इस जीवात्मा को बार – बार नाना प्रकार की योनियों में जन्म – मृत्युरूप संसारचक्र में घुमाने के हेतुभूत जन्म …
Read More »स्वर्ग नर्क सब इस धरती पे
नही गगन के देखो पार अच्छा करम तो सुख देवे है बुरा करम है दुख का सार स्वर्ग नर्क सब इस धरती पे नही गगन के देखो पार अच्छा करम तो सुख देवे है बुरा करम है दुख का सार जो दुख पता प्रभु से कहता क्यू प्रभु तुम दुख देते हो हमने किया नही कुच्छ एसा फिर क्यू नही …
Read More »स्वर्ग नर्क सब इस धरती पे
स्वर्ग नर्क है इस धरती पे, नही गगन के देखो पार अच्च्छा करम तो सुख देवे है, बुरा करम है दुख का सार (जे2) स्वर्ग नर्क है इस धरती पे, नही गगन के देखो पार अच्च्छा करम तो सुख देवे है, बुरा करम है दुख का सार (जे2) जो दुख पता प्रभु से कहता, क्यू प्रभु तुम दुख देते हो …
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