एक बार रामकृष्ण परमहंस नदी के घूम रहे थे। उनके साथ उनके कुछ शिष्य भी थे। रामकृष्ण परमहंस अपने शिष्यों से बातें कर रहे थे। नजदीक ही नदी के किनारे अनेक मछुआरे मछलियां पकड़ रहे थे। कभी मछलियां मछुआरों के हाथ लग जातीं, तो कभी निराशा उनके हाथ लगती। रामकृष्ण परमहंस जाल में फंसी मछलियों की गतिविधियों को बड़े ध्यान …
Read More »Monthly Archives: July 2017
month of sawan
ग्वालियर। सावन का महीना शुरू हो गया। इस महीने का महत्व इसलिए भी अधिक है, क्योंकि यह न केवल प्रकृति का सबसे मनभावना मौसम होता है, बल्कि इस महीने में भाई-बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन भी मनाया जाता है। समय के साथ-साथ इस महीने का महत्व कम होता गया और अब महिलाएं अपने मायके उसी दिन जाती हैं, जब रक्षाबंधन …
Read More »शांति चाहिए तो पहले विवेक जागृत कीजिए
संत अनाम टीले पर बैठे हुए अस्त होते सूर्य को देख रहे थे कि एक व्यक्ति आया और अभिवादन करके उनके सामने चुपचाप खड़ा हो गया। अनाम ने मुस्कुराते हुए पूछा मेरे लिए कोई सेवा। व्यक्ित ने जिज्ञासापूर्ण दृष्टि से अनाम की ओर देखते हुए कहा- आप बड़े शांत, प्रसन्न और सुखी प्रतीत होते हैं। मुझे लगता है कि आप …
Read More »धूर्त भेड़िया
ब्रह्मारण्य नामक एक बन था। उसमें कर्पूरतिलक नाम का एक बलशाली हाथी रहता था। देह में और शक्ति में सबसे बड़ा होने से बन में उसका बहुत रौब था। उसे देख सारे बाकी पशु प्राणी उससे दूर ही रहते थे। जब भी कर्पूरतिलक भूखा होता तो अपनी सूँड़ से पेड़ की टहनी आराम से तोड़ता और पत्ते मज़े में खा …
Read More »बोले हुए शब्द वापस नहीं आते
एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को गुस्से में भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया| उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा| संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर के …
Read More »हर किसी पर होती है वासना की परत
एक बार एक धनी व्यक्ति किसी फकीर के पास गया। उसने कहा, मैं प्रार्थना करना चाहता हूं। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद प्रार्थना नहीं कर पाता हूं। मुझमें अंदर ही अंदर वासना बनी रहती है। चाहे कितनी आंखें बंद कर लूं। लेकिन परमात्मा के दर्शन नहीं होते हैं। तब फकीर उस व्यक्ति को एक खिड़की के पास ले गया। जिसमें …
Read More »मैं जो कल था, वह आज नहीं
बात बहुत पुरानी है। एक बौद्ध गुरु के दर्शन करे लिए लोग दूर-दूर से आते थे। गुरुजी बड़ी ही उदारता के साथ लोगों से मिलते थे। वह लोगों की समस्याओं को सुनते और उनका समाधान करते। इस तरह धीरे-धीरे शरणार्थियों की भीड़ बढ़ने लगी। तभी एक दिन गुरुजी की प्रशंसा सुन, एक व्यक्ति मिलने आया। वह बहुत गरीब था। वह …
Read More »आगे जाना है तो अपनाएं सहनशीलता
एक बार सरयूदास रेलगाड़ी से कहीं जा रहे थे। गाड़ी में भारी भीड़ थी। कहीं तिल रखने का स्नान भी नहीं था। संतजी के पास ही एक मजबूत कद काठी का व्यक्ति बैठा था। वह बार-बार संत की ओर पैर बढ़ाकर ठोकर मार देता था। संत सरयूदास ने बड़े दयाभाव से कहा, ‘भाई संकोच मत करना। लगता है तुम्हारे पैर …
Read More »दूध में चमेली के फूल की तरह रहे गुरु नानक
एक बार गुरु नानक देव मुल्तान पहुंचे। वहां पहले ही अनेक संत धर्म प्रचार में लगे हुए थे। एक संत ने अपने शिष्य के हाथ में दूध से भरा हुआ एक कटोरा गुरु नानक देव को भेजा। गुरु नानक देव उठे, बाग से चमेली का एक फूल तोड़ा और दूध पर धीरे से टिका दिया। फिर शिष्य को कहा, जाओ …
Read More »चीन के संत च्वांगत्से को कपाल ने दिया ज्ञान
चीन के प्रसिद्ध संत च्वांगत्से रात के समय घूम रहे थे। अचानक उनको ठोकर लगी। उन्होंने संभल कर देखा वहां एक मानव की खोपड़ी पड़ी हुई थी। दार्शनिक कुछ देर खड़े होकर सोचते रहे फिर उन्होंने खोपड़ी उठाई और अपने थैले में डाल दी। उस दिन के बाद जब भी वे कहीं जाते उसे अपने साथ ही रखते। एक दिन …
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