कन्नड़ लेखक एच. योगनसिंहम् ने महर्षि कर्वे ( भारतरत्न 1958 धोंडो केशव कर्वे) की आत्मकथा ‘लुकिंग-बैक’ का कन्नड़ में अनुवाद किया था। उनसे सिर्फ पत्र व्यवहार द्वारा ही परिचय था पर महर्षि कर्वे से वह कभी मिले नहीं थे। एक बार जब वे पूना गए तो वे महर्षि कर्वे से भेंट करना चाहते थे। उनकी यह मनोकामना पूरी हुई। उनकी …
Read More »Monthly Archives: July 2017
हर परेशानी को दूर कर सकते हैं ये 7 अमिट विचार
आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानन्द के बारे में वैसे हम सभी काफी कुछ जानते हैं। लेकिन उनके कुछ विचार ऐसे हैं, जिन्हें बहुत कम जानते हैं। तो आइए जानते हैं वो अनमोल विचार… # उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए। # जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक भगवान पर …
Read More »इस तरह मिल सकता है सच्चा सुख
एक बार वीर शिवाजी के गुरु समर्थ स्वामी रामदासजी भिक्षा मांगते हुए एक घर के सामने खड़े हुए और उन्होंने आवाज लगायी – जय जय रघुवीर समर्थ! घर से महिला बाहर आयी। उसने उनकी झोली मे भिक्षा डाली और कहा, महात्माजी, कोई उपदेश दीजिए। स्वामीजी बोले, आज नहीं, कल दूंगा। दूसरे दिन स्वामीजी ने पुन: उस घर के सामने आवाज …
Read More »परिश्रम के साथ रखें धैर्य सफलता जरूर मिलेगी
एक बार गौतम बुद्ध अपने अनुयायियों के साथ किसी गांव में उपदेश देने जा रहे थे। गर्मी का मौसम था। गांव पहुंचने से पहले ही बुद्ध के साथ जा रहे लोगों को जगह-जगह बहुत सारे गड्ढे खुदे हुए मिले। तब उनके एक शिष्य ने गड्डे देखकर जिज्ञासा प्रकट की, आखिर इस तरह गढे का खुदे होने का तात्पर्य कया है? …
Read More »बापू की असाधारण और अक्षम्य गलती
एक दिन मोहनदास करमचंद गांधी (बापू) शाम की प्रार्थना सभा में बोलते-बोलते बहुत परेशान हो गए। उन्होंने कहा, जो गलती मुझसे हुई है, वह असाधारण और अक्षम्य है। कई बरस पहले मुझे इसका पता लगा, पर तभी मैंने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इस कारण से कई वर्ष नष्ट हो गए। मुझसे बहुत बड़ा पाप हो गया है। दरिद्रनारायण की …
Read More »विंस्टन चर्चिल की कामयाबी का ये था अचूक फार्मूला
विंस्टन चर्चिल, अंग्रेज राजनीतिज्ञ थे। वे द्वितीय विश्वयुद्ध, 1940-1945 के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री थे। राजनीतिज्ञ के रूप में उन्होंने कई पदों पर कार्य किया। विश्वयुद्ध से पहले वे गृहमंत्रालय में व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष रहे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वे लॉर्ड ऑफ एडमिरिल्टी बने रहे। युद्ध के बाद उन्हें शस्त्र भंडार का मंत्री बनाया गया। 10 मई 1940 …
Read More »जब नारद जी ने पूछा, और श्रीहरि ने बताया, ‘कर्म बड़ा या भाग्य!’
इस दुनिया में कर्म को मानने वाले लोग कहते हैं भाग्य कुछ नहीं होता। और भाग्यवादी लोग कहते हैं किस्मत में जो कुछ लिखा होगा वही होके रहेगा। यानी इंसान कर्म और भाग्य इन दो बिंदुओं की धूरी पर घूमता रहता है। और एक दिन इस जग को अलविदा कहकर चला जाता है। भाग्य और कर्म को बेहतर से समझने …
Read More »महात्मा गांधी जब साइकिल से पहुंचे सभास्थल
महात्मा गांधी समय के बड़े पाबंद थे। एक बार उन्हें एक सभा में भाषण देने का निमंत्रण मिला। निमंत्रण देने वाले सज्जन ने ठीक साढ़े तीन बजे गांधी जी को लेने के लिए आने का वादा किया। अगले दिन अपनी आदत के अनुसार गांधी जी ठीक साढ़े तीन बजे तैयार हो गए, पर कोई उन्हें लेने के लिए नहीं आया। …
Read More »ईश्वर से मिलना चाहते हैं, तो जल्द त्यागें मन से यह भाव
एक बार धार्मिक यात्रा पर गुरु नानक देव जी बनारस गए। उन्होंने गेरुए रंग के वस्त्र, पांव में जूती, सिर पर टोपी, गले में माला और केसर का तिलक लगाए हुए थे। लोगों ने सोचा दूर देश से कोई महात्मा आए हैं। इसलिए काफी लोग उनके आस-पास एकत्र हो गए। तब वह लोग एक पंडित को बुला लाए। काशी के …
Read More »जब गुरु नानक ने दी अनमोल सीख जिसे धनवान ताउम्र भूल न सका
एक बार गुरु नानक यात्रा करते हुए थक गए। वे एक गरीब दलित बढ़ई के घर में विश्राम के लिए रुके। उन्हें उसका व्यवहार पसंद आया और वे दो हफ्तों के लिए उसके घर में ठहर गए। यह देखकर गांव के लोग कहने लगे कि नानक ऊंची जाति के हैं, उन्हें नीची जाति के व्यक्ति के साथ नहीं रहना चाहिए। …
Read More »