प्राचीन काल में उत्तरी चीन में एक बुजुर्ग रहता था। जो उत्तरी पहाड़ी का महामूर्ख कहलाता था। क्योंकि उसके घर के सामने दो बड़े पहाड़ थे। आने-जाने में बड़ी ही परेशानी होती थी। तो उस वृद्ध व्यक्ति ने अपने दोनों बेटों के साथ पहाड़ को काटना आरंभ कर दिया। उनके इस काम को देखकर वहां रहने वाले सभी लोगों ने …
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स्वामी विवेकानंद ने सुना वेश्या का गीत
स्वामी विवेकानंद को विदेश जाने से पहले एक बार खेतड़ी (राजस्थान) जाना पड़ा क्योंकि वहां के महाराजा की कोई संतान नहीं थी और स्वामीजी के आशीर्वाद से पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई थी। इसी की खुशी में एक उत्सव मनाया जा रहा था। दरबार में कई सामंत, प्रजाजन और कलाकार उपस्थित थे। कार्यक्रम के आखिरी में एक गणिका (वेश्या) अपना नृत्य …
Read More »हतोत्साहित नहीं प्रोत्साहित करें
एक दिन एक किसान का गधा कुएं में गिर गया। वह गधा घंटों जोर-जोर से रेंकता (गधे के बोलने की आवाज) रहा से और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं। आखिर उसने निर्णय लिया कि गधा काफी बूढा हो चूका था, उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था इसलिए …
Read More »इसीलिए कहते हैं मां होती है दुनिया में महान
एक बार एक जिज्ञासु व्यक्ति ने स्वामी विवेकानंद से पूछा, ‘संसार में मां की महानता क्यों गाई जाती है?’ स्वामीजी ने मुस्कुराते हुए कहा, पांच सेर का एक पत्थर ले आओ। जब वह व्यक्ति पत्थर ले आया, तो स्वामीजी ने उससे कहा, ‘इसे कपड़े से लपेट कर पेट पर बांध लो और चौबीस घंटे बाद मेरे पास आना।’ उस व्यक्ति …
Read More »विरोधी को मित्र बनाने का अचूक उपाय
एक राजा था। उसने एक सपना देखा। सपने में उससे एक परोपकारी साधु कह रहा था कि, बेटा! कल रात को तुम्हें एक विषैला सांप काटेगा और उसके काटने से तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी। वह सर्प अमुक पेड़ की जड़ में रहता है। वह तुसम पूर्व जन्म की शत्रुता का बदला लेना चाहता है। सुबह हुई। राजा सोकर उठा। और …
Read More »सिकंदर इस किताब को पढ़कर बना था विश्व विजेता
एक बार सिकंदर के पास एक सैनिक अधिकारी आया और उसने एक सुंदर स्वर्ण जड़ित संदूक पेश किया। सिकंदर के पूछने पर उसने बताया कि वह संदूक ईरान में लूट के दौरान मिला है जिसे वह भेंट स्वरूप देना चाहता है। सिकंदर उस संदूक पर की गई नक्काशी देख बहुत प्रभावित हुआ और उसने अपने दरबारियों से पूछा कि संदूक …
Read More »यह है आत्मा का भोजन
बात उस समय की है जब महात्मा गांधी वकालत करते थे। वह नियमित प्रार्थना में हिस्सा लेते थे। एक बार एक वकील ने उनसे पूछा, आप प्रार्थना में जितना समय व्यतीत करते हैं, अगर उतना ही समय देश की सेवा में लगाया होता, तो आप अभी तक देश की कितनी सेवा कर चुके होते। गांधीजी ने गंभीर हो गए और …
Read More »आखिर इंसान क्रोध में क्यों चीखते-चिल्लाते हैं?
एक सिद्ध बौद्ध भिक्षु अपने शिष्यों के साथ नगर भ्रमण पर निकले। उन्होंने देखा कि वहां एक ही परिवार के कुछ लोग आपस में बात करते हुए एक दूसरे पर क्रोधित हो रहे थे। यह दृश्य देखकर एक शिष्य से रहा नहीं गया। उसने तुरंत बौद्ध भिक्षु से पूछा क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं? शिष्य कुछ …
Read More »रहस्यमयी रहस्य की तलाश करना भी होता है एक रहस्य
एक बार ऋर्षि पिप्पलाद के पास कुछ शिष्य आए और उनसे कहा कि – ‘हे गुरुदेव हमें जीवन और मृत्यु का रहस्य समझाने की कृपा करें।’ तब ऋर्षि ने कहा कि, ‘जीवन के विषय में मैं थोड़ा बहुत बता सकता हूं, क्योंकि मैंने जीवन जिया है, जहां तक मृत्यु के विषय में बात की जाए तो मैं अभी मरा नहीं …
Read More »जियो तो ऐसे जियो कि बादशाह भी खैरियत पूछे
फारस देश का बादशाह नौशेरवां न्यायप्रियता के लिए विख्यात था। एक दिन वह अपने मंत्रियों के साथ भ्रमण पर निकला। उसने देखा कि एक बगीचे में एक बुजुर्ग माली अखरोट का पौधा लगा रहा है। बादशाह, माली के पास गया और पूछा, ‘तुम यहां नौकर हो या यह तुम्हारा बगीचा है? तब उस माली ने कहा कि,’मै यहां नौकरी नहीं …
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