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कान्हा छेड़े न माटी फोड़ न

कान्हा छेड़े न माटी फोड़ न
हॉवे गुद गुदी मैं गिर जाउगी,
थोड़ी देर मैं कैसे घर जाऊगी……

जिब नीर भरन मैं जाऊ क्यों पाशे पाशे आवे,
ग्वालन के संग में मिल के गोपियाँ ने खूब सतावे
तेरी मैया से बतलाऊगी
थोड़ी देर मैं कैसे घर जाऊगी….

तेरे हाथ मैं जोडू कान्हा मत रोके राह गुजरियां
तने मन में आग लगावे जब बाजे तेरी मुरलियां
तेरी बाता में न मैं आउंगी
थोड़ी देर मैं कैसे घर जाऊगी…..

तेरा रोज रोज का ड्रामा मैं देख देख के हारी
सुन ले यशोदा के लाला मने हो रही देर बता रही,
तने मैया सेकूट वाऊ गी
थोड़ी देर मैं कैसे घर जाऊगी………..

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