एक बार, एक छोटे से गांव में एक बूढ़ा आदमी अकेला रहता था। वह कई बार कहता था, “मेरा कोई परिवार नहीं है। अच्छा हो अगर मैं खुद को मार रोज़ सुबह, वह जंगल जाता था।
वह कुछ पेड़ों को काट कर उनको गट्ठर में बांध लेता था। और उन्हें बाज़ार ले जाकर बेच देता था। उन पैसों से वह अपने खाने के लिए कुछ चीजें खरीद लेता था। एक बार, उसे बहुत तेज बुखार हो गया।
लेकिन, फिर भी वह काम करने चला गया, क्योंकि अगर वह काम न करता, तो खाने व दवा के लिए पैसे कहां से लाता। जब वह लकड़ियों का गट्ठर लेकर लौट रहा था तो उसने फिर वही कहा,
“ऐसा कोई भी नहीं है, जो मेरी सहायता कर सके। मैं चाहता हूं कि यमराज आए और आकर मुझे ले जाएं।” उसी समय, वहां से गुजर रहे मृत्यु के देवता, यमराज ने उस बूढ़े व्यक्ति की बात सुनी।
उन्होंने, उस बूढ़े व्यक्ति के पास जाकर कहा कि अगर वह चाहे तो उनके साथ स्वर्ग जा सकता है। लेकिन बूढ़ा व्यक्ति बोला, “ओह! मैं तो कुछ मदद की बात कर रहा था।”
यमराज ने उस बूढ़े व्यक्ति की गठरी उठाने में मदद की और मन ही मन मुस्करा उठे।
शिक्षाः हमें अपने हालात को कभी भी कोसना नहीं चाहिए।