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हे अंजनी पुत्र हे मारुती इतनी बिनती सवीकार करो

28हे अंजनी पुत्र हे मारुती इतनी बिनती सवीकार करो ।
इस मन मंदिर में बस जाओ मुझ निर्बल का उद्दार करो ॥

मैंने तो सुना है हे हनुमंत तुम दुखियों के दुःख हर्ता हो,
आ जाए कोई जो तुम्हारी शरण बन जाते तुम सुख करता हो ।
दुःख के इस जीवन सागर से मेरी नैया भी पार करो,
हे अंजनी पुत्र हे मारुती इतनी बिनती सवीकार करो ॥

तुम एक उद्धारण हो जग में श्री राम की सच्ची भक्ति का,
आशीष मुझे भी दे दो प्रभु सच्ची सेवा की शक्ति का ।
मैं आपका सेवक बन पाऊं मेरा सपना साकार करो,
हे अंजनी पुत्र हे मारुती इतनी बिनती सवीकार करो ॥

भक्तों की बिगड़ी बनाने को तुम पवन वेग से चलते हो,
वेदों में लिखा वह पड़ा मैंने तुम रूप अनेक बदलते हो ।
मेरे रोम-रोम जो बस जाये वो रूप स्वीकार करो,
हे अंजनी पुत्र हे मारुती इतनी बिनती सवीकार करो ॥

आजाओ कभी मेरे घर भी पावन दर्शन मैं कर लूँगा,
धो धो के चरण गंगा जल से प्रभु चरणामृत मैं पी लूँगा ।
मेरा सोचा सच हो जाए प्रभु ऐसा मुझ पर उपकार करो,
हे अंजनी पुत्र हे मारुती इतनी बिनती सवीकार करो ॥

हे पवन पुत्र केसर नंदन तुम ही जग के रखवारे हो,
तुम अज़र-अमर-बलशाली हो सिया राम लखन के प्यारे हो ।
श्री राम से आशीष ले-लेकर मुझ पर उसकी वयोछार करो,
हे अंजनी पुत्र हे मारुती इतनी बिनती सवीकार करो ॥

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