अब आन मिलो मोहन तन्हाई नही जाती
अब और कही ठोकर प्रभु खाई नही जाती,
इस वैद की कौन बता मुझे दवा पीलायेगा,
वो जादू भरी ऊँगली बालो में फिरायेगा,
जो ठेस उठे दिल में वो दबाई नही जाती,
अब और कही ठोकर प्रभु खाई नही जाती,
मिल ने को व्याकुल हो
मिल जाओ मेरे ठाकुर
तेरे दर्शन को कान्हा मेरे नैना है आतुल,
यो याद तेरी आती वो बुलाई नही जाती
अब और कही ठोकर प्रभु खाई नही जाती,
कहे हर्ष ये दर्द प्रभु अब सेहन नही होता
ये भोज जुदाई का अब वेहन नही होता
जो पीड जिया में उठे वो दिखाई नही जाती
अब और कही ठोकर प्रभु खाई नही जाती,,,,,,,