शाम का समय था। महात्मा बुद्ध एक शिला पर बैठे हुए थे। वह डूबते सूर्य को एकटक देख रहे थे। तभी उनका शिष्य आया और गुस्से में बोला, ‘गुरुजी ‘रामजी’ नाम के जमींदार ने मेरा अपमान किया है। आप तुरंत चलें, उसे उसकी मूर्खता का सबक सिखाना होगा।
महात्मा बुद्ध मुस्कुराकर बोले, ‘प्रिय तुम बौद्ध हो, सच्चे बौद्ध का अपमान करने की शक्ति किसी में नहीं होती। तुम इस प्रसंग को भुलाने की कोशिश करो। जब प्रसंग को भुला दोगे, तो अपमान कहां बचेगा?’
लेकिन तथागत, उस धूर्त ने आपके प्रति भी अपशब्दों का प्रयोग किया है। आपको चलना ही होगा। आपको देखते ही वह अवश्य शर्मिंदा हो जाएगा और अपने किए की क्षमा मांगेगा। बस, मैं संतुष्ट हो जाउंगा।
महात्मा बुद्ध समझ गए कि शिष्य में प्रतिकार की भावना प्रबल हो उठी है। इस पर सदुपदेश का प्रभाव नहीं पड़ेगा। कुछ विचार करते हुए वह बोले, अच्छा वत्स! यदि ऐसी बात है तो मैं अवश्य ही रामजी के पास चलूंगा, और उसे समझाने की पूरी कोशिश करूंगा। बुद्ध ने कहा, हम सुबह चलेंगे।
सुबह हुई, बात आई-गई हो गई। शिष्य अपने काम में लग गया और महात्मा बुद्ध अपनी साधना में। दूसरे दिन जब दोपहर होने पर भी शिष्य ने बुद्ध से कुछ न कहा तो बुद्ध ने स्वयं ही शिष्य से पूछा- ‘प्रियवर! आज रामजी के पास चलोगे न ?’
नहीं गुरुवर! मैंने जब घटना पर फिर से विचार किया तो मुझे इस बात का आभास हुआ कि भूल मेरी ही थी। मुझे अपने कृत्य पर भारी पश्चाताप है। अब रामजी के पास चलने की कोई जरूरत नहीं।
तथागत ने हंसते हुए कहा, ‘यदि ऐसी बात है तो अब अवश्य ही हमें रामजी महोदय के पास चलना होगा। अपनी भूल की क्षमा याचना नहीं करोगे।’
Hindi to English
It was evening Mahatma Buddha was sitting on a rock. He was watching the drowning sun in the sky. Then his disciple came and said in anger, ‘The landlord named Guruji Ramji’ has insulted me. If you go immediately, you must teach him a lesson of stupidity.
Mahatma Buddha smiled, ‘Dear you are a Buddhist, the power to insult the true Buddhist is not in anybody. You try to forget this incident. When you forget the incident, where will the insult be? ‘
But Tathagat, that sly has used abusive words against you too. You have to walk. You will surely be ashamed and will be sorry for your actions. Just, I’ll be satisfied.
Mahatma Buddha understood that the feeling of resistance has strengthened in the disciple. The sermon will not be affected on this. Some thoughts, he said, good promise! If that’s the case then I will definitely go to Ramji, and I will do my best to explain it. Buddha said, we will go in the morning.
In the morning, the talk has come and gone. The disciple was engaged in his work and Mahatma Buddha was in his sadhana. On the second day when the disciples did not say anything to the Buddha even after noon, Buddha himself asked the disciple – ‘Dear! Do not you go to Ramji today? ‘
No guru! When I thought again on the incident, I realized the mistake was mine. I have a heavy penance over my actions. Now there is no need to run to Ramji.
Tathagat laughed and said, “If that is the case then now we must now have to go to Ramji sir. You will not apologize for your mistake. ‘