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नंद के लाला यशोदा के प्यारे

नंद के लाला यशोदा के प्यारेराधा के प्रियतम ओह मोहन प्यारे….-2 वन में थे तुम तो गउए चरातेग्वालिनों से थे माखन चुराते -2गोवर्धन को नक पे थे धारे।राधा के प्रियतम ओह मोहन प्यारे।नंद के लाला यशोदा के प्यारे…… कुंझ गलियां में थे रास रचातेराधिका जी को तुम थे रिझाते -2बंसी बजा के जमुना किनारे।राधा के प्रियतम ओह मोहन प्यारे।नंद के …

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सरखेल कान्‍होजी आंग्रे : मराठा नौदल प्रमुख

मराठा साम्राज्‍य में सरखेल कान्‍होजी आंग्रे ‘मराठा नौसेना’ के प्रमुख थे । कान्‍होजी आंग्रे लगभग 25 वर्षों तक भारत के कोंकण का सागरी तट को स्‍वराज्‍य में सुरक्षित रखने में सफल हुए थे । सागर के सम्राट कान्‍होजी आंग्रे को नौसेनाधिपति (सरखेल) आंग्रे भी कहा जाता है । 18 वीं शताब्‍दी में वह मराठा साम्राज्‍य की नौसेना के सेनापति थे …

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प्राकृतिक आपदाओं के कारण

‘क्रिया के विरुद्ध प्रतिक्रिया’ यह प्राकृतिक अटल नियम ‘क्रिया के विरुद्ध प्रतिक्रिया’, यह प्राकृतिक अटल नियम है । नास्तिक तथा अधर्मी लोगों की पाशवी क्रूरता प्रकृति को प्रतिशोध लेने के लिए बाध्य करती है । इस नियम को, वैज्ञानिक पीटर टोम्पकिन्स एवं क्रिस्टोफर बर्डने भी अपने ग्रन्थ, ‘वृक्षों का गोपनीय जीवन’ में उत्तम ढंग से विश्लेषित कर सिद्ध किया है …

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कचरा

औद्योगिकीकरण समाप्त करें अन्यथा वही आपको समाप्त कर देगा । संपूर्ण मानवजाति को ही नष्ट कर देगा; क्योंकि विश्व के विशाल राक्षसी कारखानों से जितना प्रचंड उत्पादन होता है, उतना ही विषैला घातक कचरा भी निर्माण होता है ।’ – गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी पर्यावरण के कचरे के कारण रीन एवं सीसा के धातुकणों का भूमिगत एवं भूमि के ऊपर के …

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सरखेल कान्‍होजी आंग्रे : मराठा नौदल प्रमुख

मराठा साम्राज्‍य में सरखेल कान्‍होजी आंग्रे ‘मराठा नौसेना’ के प्रमुख थे । कान्‍होजी आंग्रे लगभग २५ वर्षों तक भारत के कोंकण का सागरी तट को स्‍वराज्‍य में सुरक्षित रखने में सफल हुए थे । सागर के सम्राट कान्‍होजी आंग्रे को नौसेनाधिपति (सरखेल) आंग्रे भी कहा जाता है । १८ वीं शताब्‍दी में वह मराठा साम्राज्‍य की नौसेना के सेनापति थे …

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राधा का चरणामृत

आज हम बालकृष्ण और राधा का एक प्रसंग सुनेंगे । एक बार गोकुल में बालकृष्ण बीमार हो गए थे । कोई भी वैद्य, औषधि, जडी-बूटी उन्हें ठीक नहीं कर पा रही थी । गोपियों को यह बात पता चली । गोपियां कृष्ण से मिलने आई । कृष्ण की ऐसी स्थिति देखकर सभी गोपियों की आंखों में आंसू आ गए । …

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अन्यों का विचार करने का महत्व !

बहुत समय पहले की बात है । एक विख्यात गुरुदेव का गुरुकुल हुआ करता था । उस गुरुकुल में बडे-बडे राजा-महाराजाओं के पुत्रों से लेकर साधारण परिवार के पुत्र भी शिक्षा लेते थे । अनेक वर्षोंसे शिक्षा प्राप्त कर रहे कुछ शिष्यों की शिक्षा पूर्ण हो चुकी थी । अब वे सभी बडे उत्साह के साथ अपने अपने घर लौटने …

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गुरुभक्‍त संदीपक !

गोदावरी नदी के तट पर महात्‍मा वेदधर्मजी का आश्रम था । उनके आश्रम में अलग-अलग स्‍थानों से वेद अध्‍ययन करने के लिए विद्यार्थी आते थे । उनके शिष्‍यों में संदीपक नाम का अत्‍यंत बुद्धिमान शिष्‍य था । वह गुरुभक्‍त भी था । वेदों का अभ्‍यास पूर्ण होने पर उन्‍होंने अपने सभी शिष्‍यों को बुलाया और कहा कि, ‘‘मेरे प्रिय शिष्‍यों, …

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नरकासुर वध

आज की यह कहानी दीपावली से संबधित है । भागवत पुराण में बताए अनुसार, भगवान श्रीविष्णु ने वराह अवतार धारण कर भूमि देवता को समुद्र से निकाला था । इसके बाद भूमि देवता ने एक पुत्र को जन्म दिया । उसका नाम भौम था । पिता एक परमदेव और माता पुण्यात्मा होने पर भी पर भौम क्रूर था, इसलिए उसका …

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देवी लक्ष्मी कहां विराजमान रहती है

एक दिन धर्मराज युधिष्ठिर ने पितामह भीष्म से पूछा, ‘‘पितामह ! क्या करने से मनुष्य के दुःखों का नाश होता है ? कोई मनुष्य दुःखी होनेवाला है अथवा सुखी होनेवाला है, यह कैसे समझ सकते हैं ? किसका भविष्य उज्ज्वल होगा और किसका पतन होगा यह कैसे पता चल सकता है ? पितामह भिष्म ने कहां, ‘‘पुत्र इस विषय में …

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