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कृष्ण गोवर्धनधारि हरे
कृष्ण गोवर्धन धारि हरे,जय मुरमर्दन मुरारि हरे, गोकुल कृत गोचारण ये,ब्रह्मा के भ्रम कारण हेमहेन्द्र महामद हारण हेजन-पशु-त्रास निवारण हेनन्द सुवन सुख कारण हेमोहन मुरली प्यारि धरे।। कृष्ण० जय नररूप नरायन हे,जग-हित गीता गायन हेजय सुख सौख्य प्रदायन हेभक्ति देहि अनपायन हेमति रत पाप परायन येचक्र सुदर्शन धारि हरे, कृष्ण० जय यदुवंश विभूषण हेकंस विमर्दन भूषण ये,जय हरि वाग-विभूषण हेहर …
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